प्रसिद्ध भारतीय योग गुरु बीकेएस अयंगर के 97वें जन्मदिन पर गूगल ने एनिमेटेड डूडल के जरिये श्रद्धांजलि दी है। अयंगर योगा स्कूल के संस्थापक बीकेएस अयंगर को फादर ऑफ मॉर्डन योगा माना जाता है। 'गूगल डूडल' में उन्हें एनिमेशन के जरिये योग करते हुए दिखाया गया है। जानिए योग गुरु अयंगर से जुड़ी रोचक बातें :
6 साल की उम्र से शुरु किया योग
योग गुरु बीकेएस अयंगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के बेल्लुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका नाम बेल्लुर कृष्णामचार सुंदरराजा अयंगर रखा गया था। बचपन में अक्सर बीमार रहने वाले अयंगर 6 साल के हुए तब उन्होंने अपने शिक्षक टी. कृष्णामचार्य से योग सीखा। वह अंग्रेजी जानते थे इसलिए दो साल बाद उन्हें योग के प्रचार के लिए पुणे भेज दिया गया।
पश्चिमी देशों में योग का परिचय
वर्ष 1952 में उन्हें प्रसिद्ध वायलिन वादक यहूदी मेनुहिन से मिलने का मौका मिला, जिन्होंने अयंगर का परिचय पश्चिमी दुनिया से कराया और उन्हें यूरोप, अमेरिका तथा अन्य देशों में योग पर व्याख्यान देने और वहां इसके बारे में बताने का अवसर मुहैया कराया।
'अष्टांग शैली' की शुरुआत
धीरे-धीरे उन्होंने 'अयंगर योग' का विकास किया और अपने अभ्यास से योग सूत्र का अर्थ जाना, जो शरीर, दिमाग और भावनाओं को जोड़ता है। यह 'अष्टांग शैली' आज दुनियाभर में मान्य है और इसका अभ्यास दुनियाभर के योग प्रशिक्षक करते हैं।
100 प्रभावशाली लोगों में से एक
वहीं 2004 में टाइम मैगजीन की 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों की सूची में भी अयंगर का नाम शामिल किया गया था।
आग के हवाले योग क्लास
अयंगर ने बताया था, मेरी उम्र महज 18 साल थी। 1938 का वक्त था, जिस क्लास में मैं योग सिखाता था, उसे जला दिया गया। उस वक्त काला जादू चलन में था, इसलिए योग का अस्तित्व में रहना मुश्किल हो रहा था। लोगों ने योग को लेकर कड़ा विरोध जताया और दलील दी कि यह साइंस नहीं है। उनके मुताबिक, यह पागलों, घर का त्याग कर चुके लोगों और भावनात्मक तौर पर कमजोर लोगों के लिए है। इसके बावजूद मैं पुणे में बना रहा।अयंगर ने बताया कि लोगों ने अपने हमले जैसे-जैसे तेज किए, वैसे-वैसे वह मजबूत होते गए।
दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल
पुणे में तीन सालों में मेरे लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी काफी मुश्किल रहा। उस वक्त एक प्लेट चावल की कीमत 2 आने थी, लेकिन मेरे लिए वो भी जुटाना बहुत मुश्किल था।
दुनिया ने किया सलाम
चीन के डाक विभाग ने उनके सम्मान में वर्ष 2011 में डाक टिकट जारी किया था। जबकि सैन फ्रांसिस्को ने 3 अक्टूबर 2005 को बीकेएस अयंगर दिवस के रूप में मनाया। अयंगर को 1991 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2014 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था।
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