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सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पदम पुरुस्कारों का वितरण किया। अनुपम खेर, श्री श्री रविशंकर, सायना नेहवाल और धीरूभाई अंबानी जैसे नामों के बीच एक नाम ऐसा भी था, जो कैमरे का चकाचौंध का सामने खो गया।
वो नाम है कवि हलधर नाग का, जिन्हें राष्ट्रपति से देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार पद्मश्री मिला।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस शख्स में खास बात क्या है? तो हम आपको बता दें कि 65 साल के हलधर नाग कोसली भाषा के कवि हैं। ओढिशा के बारगढ जिले से आने वाले हलधर नाग के पास स्कूली शिक्षा के नाम पर सिर्फ तीसरी तक की ही पढ़ाई की है। हलधर कभी भी जूते-चप्पल नहीं पहनते, और कपड़ो में सिर्फ धोती-बनियान ही पहनते हैं।
धीरे-धीरे इलाके में जब और स्कूल खुले, तो हलधर नाग ने एक स्टेशनरी की दुकान खोल ली। वहीं से हलधर और कविताओं का रिश्ता शुरू हो गया। 1990 में उनकी पहली कविता ‘धोदो बरगाछ’ (पुराना बरगद का पेड़) एक लोकल मैगजीन में छपी।
हलधर को ओढिशा में ‘लोक कवि रत्न’ के नाम से जाना जाता है। अब तक कुल 5 छात्र उनके महाकाव्यों पर पीएचडी कर चुके हैं।