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हौसला हो तो मंजि़ल अपने आप ही मिल जाती है। कुछ ऐसा ही उदहारण उड़ीसा के प्रकाश राव ने दुनिया के सामने रखा है। प्रकाश चाय बेचते हैं। पिता की दुकान में मदद करने की वजह से वह सिर्फ़ 5वीं तक ही पढ़ पाए। पिता अक्सर पढ़ाई करने पर उन्हें मारा करते थे। कहते थे कि पढ़ाई से पेट नहीं भरता लेकिन आज ये ही 5वीं पास व्यक्ति 70 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रहा है। प्रकाश राव आज भी चाय ही बेचते हैं, लेकिन अपनी कमाई का एक हिस्सा इन बच्चों को पढ़ाने में लगाते हैं। राव की अपनी बेटियां भी पढ़ी लिखी हैं। इनमें से एक अब ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है। प्रकाश का सपना अब गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है। देखिए एक ऐसी कहानी जो हर भारतीय को सोचने पर कर देगी मजबूर।
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