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पुरुष प्रधान समाज में हम हमेशा से कुछ ऐसी बातें सुनते आए हैं जो रूढ़िबद्ध बन चुकी है। इन धारणाओं में से एक लड़के और लड़कियों की क्षमता आंक कर उन्हें कम आंकना है। ये कोई नई बात नहीं है, ऐसा सदियों से होता आ रहा है।
पुरुषों के लिए आरक्षित क्षेत्रों जैसे मिलिट्री, ऑटोमोबाइल, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, स्पोर्ट्स और एरोनॉटिक्स में महिलाओं को गिना ही नहीं जाता था, लेकिन भले ही लोगों की सोच में कोई परिवर्तन आया हो या न आया हो, लेकिन आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं छूटा है जहां महिलाओं ने अपनी प्रतिभा के झंडे न गाड़े हों।
इसका ताजातरीन उदहारण है, राजस्थान की प्रिया शर्मा देश की सातवीं और राजस्थान की तीसरी महिला फाइटर पायलट बन चुकी हैं। भारतीय वायु सेना अकादमी, डुंडीगुल से शनिवार को 139 कैडेट्स ग्रेजुएट हुए और 35 फाइटर पायलटों में से प्रिया एकलौती महिला फाइटर पायलट थीं।
प्रिया अपने पिता से प्रेरित होकर बचपन से ही पायलट बनकर प्लेन उड़ाने के सपने देखा करती थीं और आखिर उनके मजबूत जज्बों के जरिये उनके सपने को पंख मिल ही गए। आईआईटी कोटा से पढ़ाई पूरी करने वाली प्रिया का कहना है कि कोई भी काम पुरुष या महिला के लिए पहले से नहीं बना होता।
ये सिर्फ हमारे फैसले पर निर्भर करता है कि हम क्या करना चाहते हैं। आज से ठीक एक साल पहले फ्लाइंग अधिकारी अवनी चतुर्वेदी ने फाइटर जेट सोलो उड़ाने वाली भारत की पहली महिला बनकर इतिहास रचा था। इन महिलाओं की कामयाबी पर हमें गर्व है।
लेकिन इस बात पर अफसोस भी है कि अपनी कामयाबी से विकृत सोच को गलत साबित करने के बावजूद महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया नहीं बदल पाया है, जिसका हालिया उदाहरण है आर्मी चीफ बिपिन रावत द्वारा महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाएं ना देने पर दिया गया बड़ा बयान।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास अपने बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी पहले है और साथी जवानों पर गलत आरोप न लगें, इसीलिए महिलाओं को लड़ने के लिए नहीं भेजा जाता।हालांकि इस बयान को लेकर ट्विटर पर काफी आलोचना की गई, लेकिन इससे सोच में बदलाव आने की फिर भी कोई गारंटी नहीं है।