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अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है, लेकिन सियासी माहौल अभी गर्माया हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल पड़ा है। ऐसे कई में भ्रष्ट राजनेताओं के भेद भी खुलेंगे, लेकिन वो कहा जाता है कि भारत में किसी राजनेता को सजा नहीं होती। कुछ हद तक बात सही भी है, लेकिन कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जो इस बात को गलत साबित करते हैं। कई नेता ऐसे भी है, जो मुख्यमंत्री बने और कभी-न-कभी हवालात की हवा खा कर आए। देखतें हैं ऐसे ही लोगो की लिस्ट:
जयललिता
तमिल नाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को एक विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामाले में चार साल की जेल की और 100 करोड़ रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई जा चुकी है। इस मुकदमें में ही जयललिता की करीबी शशिकला नटराजन, उनकी भतीजी और भतीजे को आरोपी बनाय गया। आरोपियों को 1991 से 1996 के बीच, जब जयललिता पहली बार मुख्यमंत्री बनीं, तब 66.65 करोड़ की सपंत्ति अधिग्रहित करने का दोषी पाया गया।
लालू प्रसाद यादबबिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को कुख्यात चारा घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पांच साल जेल और 25 लाख रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला 17 साल से लालू का पीछा कर रहा है और इसी के चलते लालू सांसद बनने के योग्य नहीं हैं। साथ ही लालू अगले 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते।
ओम प्रकाश चौटालाजनवरी 22, 2013, को सीबीआई की विशेष अदालत ने गैर-कानून तरीके से जूनियर टीचरों की भर्ती के एक मामले में सुनवाई में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला समेत दस दोषियों को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा एक दोषी को 5 साल और 44 अन्य को 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। सभी को आईपीसी की धाराओॆ के तहत धोखा, जालसाजी, नकली दस्तावेजों, षड्यंत्र और पद के गलत इस्तेमाल के आरोप में दोषी पाया गया।
शिबू सोरेन28 नवंबर, 2006 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को अपने पुराने सचिव शशिनाथ झा के अपहरण और हत्या के 12 साल पुराने मुकदमे में दोषी पाया गया। यह किसी केंद्रीय मंत्री का हत्या में दोषी होने का पहला मुकदमा था। उसी साल 5 दिसंबर को सोरेन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हालांकि, 23 अगस्त, 2007 को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर सोरेन को बरी कर दिया था।
मधू कोड़ाझारखंड के एक और पूर्व मुख्यमंत्री मधू कोड़ा भी जेल की हवा खा चुके हैं। उन पर 4,000 करोड़ रूपए के घोटाले का आरोप था। जांच अजेसियों की रिपोर्ट में पाया गया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए लोहे और कोयले के खनने के लिए बड़े पैमाने पर घूस और रिश्वत ली। रिपोर्ट में कहा गया कि कोड़ा और उनके करीबियों ने इस अवैध आवंटन के जरिए करीब 4,000 हजार करोड़ रूपए बनाए। 30 नवंबर, 2009 को राज्य के पुलिस सतर्कता विभाग ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लेकिन 31 जुलाई 2013 को 44 महीने की कैद के बाद कोड़ा जमानत पर रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आ गए।
बी. एस. येदुरप्पाकर्नाटका के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दबंग नेता बी.एस. येदुरप्पा को 15 अक्टूबर 2011 को लोकायुक्त के आदेश के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। येदुरप्पा पर जमीन को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप थे जिसके कारण उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी निकला था। आरोप था कि उन्होंने अपने पद का गलत प्रयोग करते हुए आवंटन में गड़बड़ी कर अपने बेटों को फायदा पहुंचाया है। 40 लाख की जमीन को 2 करोड़ के दाम पर बेचने के आरोप में येदुरप्पा करीब 23 दिन तक जेल में रहें, लेकिन नवंबर में जमानत पर रिहा हो गए।
एम. करूणानिधि30 जून,2001, तमिल नाडु का पूर्व मुख्यमंत्री एम.करूणानिधि के लिए बेहद निराशा लेकर आया। इस दिन करूणानिधि, केंद्रीय मंत्री मुरासोली और टी.आर बालू को गिरफतार किया गया। लेकिन पहली दृष्टि में कोई सबूत न मिलने के कारण उन्हे रिहा कर दिया गया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किया गया हो।
जगन्नाथ मिश्रसाल 2013 की सितंबर 30 को, रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और 44 अन्य आरोपियों को चारा घोटाल में दोषी पाया गया। उन्हें 4 साल की कैद सुनाने के साथ, अदालत ने 2 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया।
अजित जोगीछत्तीसगढ़ को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को एनसीपी को कोषाध्यक्ष राम अवतार जग्गी की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जग्गी की हत्या 2003 में हुई थी। लेकिन रायपुर की अदालत ने बाग में अजित जोगी को सबूतो के अभाव के चलते हुए बरी कर दिया था।
अब्दुल रहमान अंतुलेमहाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जबरन वलूसी के आरोप में दोषी बनाया। इसी के चलते इन्हें इस्तीफे देना पड़ गया था। असल में आरोप था कि ये बिल्डरों को एक ट्रस्ट में पैसे दान करने के लिए कहते थे, जो उनके नियंत्रण में था। बदले में ये उन्हें कई प्रकार के फायदे दिलाने का भरोसा दिलाते थे।
प्रकाश सिंह बादलपंजाब की पदासीन मुख्यंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल को 2003 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार के दौरान जेल जाना पड़ा था। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों से उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था।