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करारे क्रिस्पी और चटपटे समोसे, एक ऐसा व्यंजन जो बड़ी आसानी से हर जगह उपलब्ध। ज्यादा महंगा भी नहीं। बस थोड़ी सी हरी धनिये और मिर्ची की चटनी और समोसा मुंह में गप्प... उत्तर भारत के नौकरीपेशा लोगों की फेवरेट ऑफिस पार्टी डिश... किसी ने नए जूते लिए तो भई समोसे मंगा लो, नई बाइक ली तो समोसे मंगा लो... आज हैंडसम लग रहा है भाई तो समोसे मंगा लो। मतलब कोई भी बहाना समोसे पर फिट... और शायद इसी लिए ये है हर जगह हिट!
लेकिन एक खास थुलथुले एसी में रहने वाले वर्ग को इसके नाम से ही अपच हो जाती है और पेट में मरोड़ उठने लगती है। ये लोग समोसे की जगह बर्गर को इसलिए दे देते हैं, क्यों कि समोसा ऑइली होता है। कई बार रोड साइड पर इसकी उपलब्धता को लेकर भी यह धिक्कारा जाता है। ऐसे लोगों के बीच उपेक्षा का शिकार हो रहे समोसे के लिए खुश खबर है।
जी हां, सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (सीएसई) की जो रिपोर्ट आई है उसे देखकर आपका तुंरत समोसा खाने का मन करेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक समोसे ने हेल्दी फूड के मामले में बर्गर से जंग जीत ली है। शोधार्थियों ने समोसे को बर्गर से ज्यादा हेल्दी माना है।
रिपोर्ट के मुताबिक समोसा हमेशा ताजा खाद्य सामग्री से बनाया जाता है और ताजा ही खाया जाता है। इसे बनाने में अमूमन मैदा, तेल, आलू और मसालों का इस्तेमाल होता है। ताजा खाद्य सामग्री की वजह से इसमें किसी तरह के हानिकारक केमिकल्स नहीं होते हैं, जिससे कि सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता है। वहीं बर्गर में बनाने में कई तरह के प्रिजरवेटिव्स, एसीडिटी रेगुलेटर्स, एमल्सीफायर, इंप्रूवर और एंटी ऑक्सीडेंट का इस्तेमाल किया जाता है, यानी केमिकल के मामले में कहीं आगे होता है।
इसी तरह रिपोर्ट ने फ्रेश इन्ग्रीडिएंट से बनने वाले पोहा और ताजा जूस को क्रमश: फ्राइड नूडल्स और डिब्बा बंद जूस से बेहतर बताया है। इस रिपोर्ट के बारे में जानकर समोसा लवर्स के चेहरे जरूर खिल गए होंगे। जो लोग सेहत की परवाह करते हुए अपने जायके से समझौता कर रहे होंगे, उन्हें समोसा की जीत पर खुशी जरूर होगी। तो भी पार्टी हो जाए... तो भई समोसा मंगा लो!