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बचपन में बच्चों के बीच कुछ बातें उत्सुकता पैदा करती हैं। जैसे कि नहाते वक्त साबुन क्यों लगाया जाता है। साबुन लगाने से झाग क्यों होता है। शरीर और बालों का साबुन अलग क्यों होता है। जबकि दोनों साबुनों से झाग निकलता है वगैरह, वगैरह...
लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर शैम्पू का आविष्कार किसने किया। शैम्पू का मतलब क्या होता है। कौन था वो आदमी जिसके दिमाग में इसके इस्तेमाल की बात आई थी। नहीं पता... तो बताते हैं।
वैसे तो शैम्पू सुन के लगता है कोई विदेशी शब्द है। गलत लगता है। सच बात ये है कि शैम्पू शब्द, 'चम्पू' से बना है। चम्पू का मतलब होता है 'हूट' यानी की मसाज करना। ये संस्कृत से निकला शब्द है। तुम जो, दिन-रात चम्पू-चम्पू करके अपने बेचारे टाईप के दोस्त को चिढ़ाते रहते हो। उसका मतलब कुछ और होता है।
पहले इंडिया में लोग ऐसे केमिकल लिक्विड यूज तो नहीं करते थे। वो कुछ हर्बल यूज करते थे। जिससे बाद में शैम्पू निकला। वैसे तो हमारे घर में हमने हाल तक देखा था लोगों को रीठा भीगा कर बाल धोते हुए। तुमको पता है शैम्पू हिंदी का शब्द है? आज तक अंग्रेज़ी समझते थे न!
वैसे तो ज्यादातर सौंदर्य प्रसाधन वाले आइटम मिस्त्र वालों ने खोजे हैं लेकिन 15वीं शताब्दी में शैम्पू के बारे में दुनिया को भारत के जरिए पता चला। हिंदुस्तान में विभिन्न फलों की लुगदी से एक खास तरह का साबुन तैयार किया जाता था। जो शरीर पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्रसाधनों जितना तीव्र नहीं था।
ब्रिटिश जब भारत में आए तो उनकी नजर इस पर पड़ी। बालों में लगाने के बाद उन्हें काफी फायदे दिखे।लिहाजा वो इसे अपने देश लेकर चले गए।
आजकल तो पान की दुकान पर भी शैम्पू के एक रुपये वाले पाउच मिल जाते हैं। लेकिन एक जमाने में यह सिर्फ खास लोगों के लिए होता था। ब्रिटिश के लोग जब इसे लेकर गए तो यह जनता के लिए उपलब्ध नहीं हुआ करता था। उस वक्त सिर्फ बालों के विशेषज्ञ या राजा महाराजाओं के पास ही शैम्पू होता था। तो आप चाहें, आज बाल में शैम्पू लगाकर खुद को राजा मान सकते हैं। और इससे आप अपने सिर पर ताज भी बना सकते हैं।