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एक आम नौकरीपेशा शख्स को टास्क लेने के लिए बिग बॉस के आलीशान घर या एमटीवी रोडीज के शो पर गालियां सुनने के लिए नहीं जाना पड़ता है। इसके लिए वह नौकरी करता है। समय पर दफ्तर पहुंचना ही अपने आप में एक बड़ा टास्क है। प्राइवेट कंपनियों में तो सिर्फ समय पर आने की बात कही जाती है। वापिस जाने का कोई समय नहीं होता। दफ्तर पर समय पर आने की पाबंदी सिर्फ प्राइवेट नौकरियों में नहीं होता है बल्कि सरकारी नौकरियों में भी इसको लेकर बड़े सख्त नियम है।
जितने सख्त नियम बनाए जाते हैं कर्मचारी उससे भी सख्त बहाने तैयार कर लेते हैं। कई बार तो लोग ऐसी बातें बता देते हैं कि बॉस की दिल अंदर से पसीज जाता है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में ऐसा ही हुआ। चित्रकूट जिले में डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य कर के दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारी अशोक कुमार ने ऑफिस देरी से पहुंचने पर ऐसा लिखित स्पष्टीकरण दिया कि पढ़ने वाले की आंखों में आंसू आ गए, हालांकि ये बात अलग थी कि ये आंसू अत्यधिक हसंने की वजह से आए थे।
अशोक कुमार 18 अगस्त को दफ्तर देरी से पहुंचे थे। इस पर कार्रवाई करते हुए डिप्टी कमिश्नर वाणिज्य कर एमएस वर्मा ने लिखित सफाई मांगी थी। 'वे कार्यालय में निर्धारित समय 10.15 बजे तक उपस्थित क्यों नहीं हुए? जबकि उन्होंने देर से आने की कोई अर्जी भी नहीं दी है। क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
कर्मचारी ने लिखा, 'साहब पत्नी की तबीयत खराब रहती है। उसका शरीर दर्द करता है तो हाथ पैर भी दबाने पड़ते हैं। इसलिए खाना मुझे ही बनाना पड़ता है। रोटी बनाना सीख रहा हूं। कभी-कभी रोटियां जल जाती हैं। जिसपर पत्नी नाराज होती है। आज कल मैं दलिया बनाकर खा रहा हूं। मेरे इलाके की सड़कों पर बहुत गड्ढे हैं। कभी इनके कारण तो कभी जाम के कारण ऑफिस देरी से पहुंचता हूं। स्पष्टीकरण में कर्मचारी ने अपने अधिकारी से अनुरोध किया है कि 'सुबह वह पत्नी की सेवा जल्दी करके अब कार्यालय के लिए निकलेगा। बाकी आप खुद समझदार हैं।'