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फेसबुक के जरिए ऐसे चोरी हो रहा आपका डाटा, जानिए कैसे बचें

Updated Thu, 22 Mar 2018 07:14 PM IST
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विस्तार

एक शख्स के घर में रात को चोरी हो गई। सुबह उठा तो उसने हल्ला मचा दिया कि लुट गया, बर्बाद हो गया। फिर कुछ समझदार लोग आए, मौका देखा और बोले कि चोर से ज्यादा तो तेरी गलती है। अरे भाई रात में दरवाजा खोल के कौन सोता है। बंदा बोला, गलती से खुला रह गया। टीवी देखते-देखते आंख लग गई और सुबह जब नींद खुली तो सब लुट चुका था।

आपको लग रहा होगा कि ये लघु कहानी क्यों पढ़ा रहे हैं ?. दरअसल, दुनिया में भी इस वक्त एक चोरी को लेकर हल्ला मचा है। डाटा की चोरी का। एक कंपनी है कैंब्रिज एनालिटिका, उस पर आरोप है 5 करोड़ से ज्यादा लोगों का डाटा चुराने का। चोरी के लिए इस्तेमाल किया फेसबुक का। जब मामला बढ़ गया तो फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग सामने आए और माफी मांग ली। वैसे ही जैसे केजरीवाल जी ने मांगी पिछले दिनों। कि भैया अहसास-ए-गलती हो चुका है, लेकिन इसका दोहराव नहीं होगा। 

मगर आपको लग रहा होगा कि इसमें ऊपर वाली कहानी का क्या जिक्र है। दरअसल, मामला ये है कि चोरी हुई सो हुई लेकिन जिनका डाटा चोरी हुआ उनका भी कम योगदान नहीं था। वो भी डाटा चोरों को खुला निमंत्रण दे रहे थे और डाटा कहां पड़ा है, ये बताया घर के भेदी फेसबुक ने। 

तो इससे पहले कि आप लोगों का भी डाटा चोरों के हाथ लगे जान लो कैसे लगती है आपके डाटा में सेंध? 
कौन आपको चूमने का सपना देख रहा है ?
आपकी शक्ल किस सेलिब्रिटी से मिलती है ?
आप किस सेलिब्रिटी की तरह दिखते हैं ?
आपका कौन सा दोस्त आपकी जासूसी करता है ? 
कौन सा दोस्त आपके लिए जान दे सकता है? 
आपकी इच्छा कब होगी पूरी?
आपकी मौत कब होगी ? 
आपकी शादी कब होगी ? 
आपके कितने बच्चे होंगे ? 
आप कितने अमीर बनोगे ?
इस साल आपको क्या मिलेगा ?


फेसबुक पर अक्सर ऐसे पोस्ट शेयर करते देखा होगा। आप उस लिंक पर जाते हैं और फिर आपकी प्रोफाइल का विश्लेषण करके आपको एक संभावित उत्तर दिया जाता है। कभी आपने सोचा कि ये कैसे होता है। इसके लिए दरअसल, संबंधित ऐप आपकी प्रोफाइल को डाटा के आधार पर एनालाइज करती है। 

सीधी भाषा में कहें तो आपकी ओर से फेसबुक पर दर्ज सभी जानकारियों के जरिए एक संभावित उत्तर आपको दिया जाता है। उत्तर देने के लिए ऐसे ऐप्स आपसे डाटा शेयरिंग की परमिशन ले लेते हैं (जैसा कि आप ऊपर चित्र में देखिए यूजर से किस-किस चीज की परमिशन ली गई). जिनमें आप उन्हें लोकेशन शेयरिंग, फोटो एक्सेस, डिवाइस एक्सेस यहां तक की कई बार तो और भी महत्वपूर्ण जानकारी जाने-अनजाने यूजर की ओर से दे दी जाती है। एक बार जिस ऐप को यह परमिशन मिल जाती है तो यूजर का सारा डाटा उसके पास चला जाता है। 
आप सोच रहे होंगे कि जब सब चीजों की परमिशन तो यूजर ने खुद दी फिर चोरी कैसे हुआ। 

दरअसल, यहां तक तो ठीक है लेकिन चोरी और चोरी का माल बाजार में बेचने का खेल इसके बाद शुरू होता है। ऊपर जिस प्रकार की ऐप्स का जिक्र किया गया है उनमें से कई ऐप्स सर्टिफाइड नहीं होती। इसके अलावा कई ऐप्स यूजर से थर्ड पार्टी डाटा शेयरिंग की परमिशन ले लेती हैं यानि कि वो आपसे जाने-अनजाने अनुमति ले लेती हैं कि आपका डाटा किसी ओर को दे सकें।  यहीं होती है चोरी। 

परमिशन मिलने के बाद आपका डाटा अलग-अलग प्रकार की कंपनियों से शेयर किया जाता है। फिर इसी डाटा का उपयोग ये कंपनियां अलग-अलग तरीके से करती हैं। जैसे कि यहां आरोप लग रहा है और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी माना है कि फेसबुक के जरिए ऐसे ही ऐप्स ने डाटा कैंब्रिज एनालिटिका जैसी कंपनियों को दिया। जिसका उपयोग राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संदर्भों में समय-समय पर किया जाता है। 
अगर किसी भी यूजर को ऐसा लगता है कि फेसबुक के जरिए उसका डाटा चोरी हो सकता है, तो इससे बचने के लिए बिल्कुल आसान से उपाय हैं। 

पहला उपाय - कभी भी ऐसे क्लिक बेटिंग टाइप सवालों वाली ऐप्स का प्रयोग न करें. जिनमें आपकी शादी, उम्र, सेलिब्रिटी से आपका मैच जैसे सवाल हों। 

दूसरा उपाय -  अपनी फेसबुक प्रोफाइल में चेक करें कि आपने किन-किन ऐप्स को डाटा एक्सेसिंग की परमिशन दे रखी है। इसके लिए आप अपने फेसबुक के सेटिंग में जाएं। 

वहां से ऐप्स पर क्लिक करें।  इसके बाद फेसबुक आपको वो सब ऐप्स दिखा देगा जिनके पास आपके डाटा कि एक्ससेस है। अगर आपको लगता है कि कोई भी ऐप संदिग्ध है या आपको संबंधित ऐप से डाटा शेयर नहीं करना तो उसे हटा दें। (ऊपर चित्र में मुख्य बिंदुओं को पीले रंग से हाइलाइट किया गया है)
 

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