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ये हैं इंडिया के टॉप-7 सबसे खतरनाक और मशहूर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Thu, 20 Oct 2016 07:35 PM IST
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एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट - फोटो : source
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विस्तार

'एनकाउंटर' सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है? खून-खराबा? या शान्ति? मेरे दिमाग में ये दोनों ही नहीं आते। फिर क्या आता है? मेरे दिमाग में आता है अब तक छप्पन। मेरे दिमाग में आता है नाना पाटेकर का चेहरा। जब वो अंडरवर्ल्ड के लोगों को चुन-चुन कर मार रहा होता है तब उसके चेहरे पर सिकन तक नहीं होती। बाद में पता चला था ये दया नायक की जिंदगी से इंस्पायर्ड फिल्म थी। मुंबई पुलिस का हीरो। जिसके नाम से मुंबई के गुंडे मूत देते। लेकिन एक बात है जो मुझे हमेशा ही कोसती रहती है। वो ये कि जब ये किसी का एनकाउंटर करके वापिस घर आते होंगे तब अपने बच्चों को क्या बताते होंगे? खैर... 

सवाल तो बहुत आते हैं दिमाग में लेकिन अभी आप इंडिया के टॉप-7 एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को जानिए। 


कहने वाले कहते हैं कि प्रशांत इंडिया के सबसे खतरनाक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे हैं। और इनके नाम से ही अंडरवर्ल्ड के लोग खौफ खाते थे। इनके नाम तो वैसे 104 एनकाउंटर दर्ज हैं। लेकिन माना जाता है कि इन्होने 300 से भी ज्यादा एनकाउंटर किए हैं। ये तब मशहूर हुए थे जब छोटा राजन ने इन्हें अपना टारगेट बना लिया था। एक बार एक फेक एनकाउंटर मामले में भी प्रशांत के खिलाफ केस हुआ था। लेकिन बाद में कोर्ट ने इन्हें फ्री कर दिया था।

नाना पाटेकर की एक फिल्म आई थी। 'अब तक छप्पन'। याद है? उसमें नाना अपनी काउंटिंग बढ़ाते रहते हैं। ये वही दया नायक है। इन्हीं की लाइफ को लेकर ये फिल्म बनी थी। एकदम सेम टू सेम तो नहीं लेकिन कुछ-कुछ जो कहानी का प्लॉट था वो यहीं से निकला था। इंडिया में जितने भी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हुए हैं उनमें दया का नाम सबसे ज्यादा फेमस है। अपने करियर में 83 को जन्नत की सैर पर भेजा और करीब 300 से ज्यादा को जेल की हवा खिलाई। एक बार गोली भी लग गई थी। लेकिन आदमी है खुद लोहे का उसको भी मात देके निकल आया। 


एकदम करंट आदमी। 83 को भेज दिया। कहां? जेल नहीं,उप्पर! कहते हैं एकदम बिजली दिमाग का आदमी। इन्वेस्टीगेशन करने में माहिर। कोई जोड़ा नहीं। वैसे इनका ऑफिशियल काउंट क्लियर नहीं है। मतलब ये 83 से भी ज्यादा है। छोटा सकील का एक शूटर था, आरिफ कालिया। इनका सबसे फेमस ऑपरेशन था। 


मुंबई पर हुए 26/11 हमले में आतंकियों से लड़ते हुए विजय शहीद हो गए थे। सालसकर अपने 25 साल के करियर में 90 कसाबों और शकीलों को जन्नत की सैर पर भेज चुके थे। लेकिन इस वाले कसाब की किस्मत थोड़ी अच्छी और हमारी किस्मत थोड़ी खराब थी जो आज हमारे बीच सालसकर नहीं हैं। वरना इनके नाम के डंके पूरे मुंबई शहर में बजते थे। मरणोपरांत इन्हें अशोक चक्र से नवाज़ा गया था।


आज कल शिव सेना के साथ हैं। इससे पहले 63 का क्रिया-कलाप कर चुके हैं। मुंबई के मुम्बरा में शान्ति बनाने की जिम्मेवारी थी। जो कर दिया। मुम्बरा मुंबई का मुस्लिम बहुल इलाका है। लगता है मार-धाड़ से मन भर गया था। तब रिजाइन मार दिया। अब शिव सेना के साथ क्या कर रहे हैं ये नहीं पता। जो बात है सो साफ। काहे कि झुठ्ठो का ज्ञानी बनने का कोई शौक है नहीं।

आंग्रे वो आदमी हैं जिन्होंने पूरे बांद्र के झोल को अकेल्ले साफ़ कर दिया था। क्या बोलते हो, वन मेन आर्मी। हां वही। वहां उस टाइम में ज़मीन माफिया लोग बढ़िया खुराफात मचाए हुए थे। बस फिर क्या रविन्द्र ने इन्द्रासन पर सवार हो के घूमा दिया पिस्टल। 50 को निपटाया सब शांत। अब वहां शांतिकुंज भी खुलवा दो तो उनको भी शिकायत ना हो।


अभी तक आपने जितनों के बारे में जाना वो सब मुंबई के कोहराम को शांत कर रहे थे। राजबीर सिंह दिल्ली में जो ज़मीन माफिया जाल पसारे बैठे थे उनको साफ़ करने में लगे थे। दिल्ली पुलिस के इकलौते ऐसे ऑफिसर थे जिन्हें मात्र 13 साल में एसीपी(ACP) बना दिया गया था। लेकिन दुखद इनको इन्हीं के एक दोस्त ने आपसी विवाद में गोली मर दी थी। 


ये थी पूरी लिस्ट। एक और बात यहीं बता दें। फिल्म देख के हीरो बनने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि फिल्म-फिल्म होती है और असलियत असलियत। कोई शक? होना भी नहीं चाहिए। क्योंकि सुनने में ये सब कुछ जितना आसान लग रहा है ना, वो इतना आसान होता नहीं है। जो करता है उसे समझ आता है। 

 

Firkee.in नो हवाबाजी... 


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