इरफ़ान पठान, देश को गुजरात की सौगात। वो खिलाड़ी जिसने इंडियन क्रिकेट टीम में टेस्ट की टोपी पहले पहनी इसके बाद ओडीआई की टोपी। इंडिया के लिए साल 2003 से लेकर 2012 तक 29 टेस्ट खेले और 120 वन डे। कराची टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही ओवर में इरफ़ान के हैट्रिक को हम कैसे भूल सकते हैं। मुझे आज भी याद है। तब मैं अपने घर में लगे टीवी के सामने बैठा, गाने सुन रहा था। तभी पिता जी ने आ कर चैनल बदला। मैंने जिद्द की। लेकिन मुझसे 2 ओवर की मोहलत ली गई। टेस्ट में मुझे ज्यादा इन्ट्रेस्ट नहीं था। जवान खून। कहां स्लो क्रिकेट समझता।
टॉस हुआ। मैं खुश। इंडियन टीम टॉस जीत चुकी थी। मैंने राहत की सांस ली। चलो बैटिंग देखने को मिलेगा। सहवाग, द्रविड़, तेंदुलकर, लक्ष्मण, गांगुली, युवराज, धोनी, पठान सब की बैटिंग देखने को मिलेगी। लेकिन हो गया सियापा। द्रविड़ कप्तान थे शायद। कहा, हम फील्डिंग करेंगे। हमारा इंट्रेस्ट खत्म।
लेकिन अभी टर्न बाकी था। पहला ओवर। गेंद इरफ़ान पठान के हाथ में। पहली बॉल, सामने सलमान बट। बॉल पठान के हाथ से छूटने और बैट्समेन तक पहुंचने की दूरी तय करने भर का समय लगा और द्रविड़ ने कैच लपल लिया था। सलमान बट्ट पवेलियन की तरफ चल पड़े थे। मज़ा आ गया। दूसरी बॉल, सामने यूनिस खान बॉल छूटा यूनिस पवेलियन के रस्ते। अब बारी थी, मोहम्मद यूसुफ़ की और साथ में एक रिकॉर्ड बनने की भी।
टेस्ट के पहले ओवर में हैट्रिक बनने का रिकॉर्ड। धड़कनों की आवाज़ सुनी जा सकती थी। पठान के गले में एक माइक्रोफ़ोन लगा देना था, धडकनों में इंडिया-इंडिया की आवाज़ सुनाई देती दुनियाभर को। तीसरी बॉल गई, यूसुफ़ इससे पहले की कुछ समझते उनके ठीक पीछे खड़े स्टंप की गिल्ली उड़ चुकी थी। इतिहास ने एक और पठान का नाम दर्ज कर लिया था। जिसका दिल हिंदुस्तान के लिए धड़कता था।
अभी कुछ दिन पहले यही पठान, पूरा नाम इरफ़ान पठान। नागपुर के एक इवेंट में पहुंचा था। एक किस्सा सुनाया। किस्से में पठान था, एक मोहतरमा थीं, हिंदुस्तान था और सरजमीं-ए-पाकिस्तान भी था।
टीम कराची गई हुई थी। तभी एक महिला से मुख़ातिब हुआ। महिला ने सवाल दागा।
सेकेंड के 60वें हिस्से से भी कम समय में पठान ने जवाब दाग दिया था। मोहतरमा क्लीन बोल्ड हो चुकी थीं। पाकिस्तान की धरती पर एक मुसलमान ने हिंदुस्तान नाम का झंडा गाड़ दिया था।
इसके बाद ना कोई सवाल था और ना ही किसी जवाब की जरूरत। इवेंट में पठान इस वाकये को सुनाते हुए कहते हैं, "ये सब वो इंसिडेंट हैं जो मुझे हमेशा प्रोत्साहित करते रहते हैं कि और अच्छा करूं। बावजूद इसके कि मेरे करियर में ऐसे कई मौके आए जिन पर मुझे गर्व है।"
एक और बात बताई कि जब गांगुली कप्तान थे और मुझे टेस्ट टीम के लिए चुन लिया गया था, 2003-04 के 'बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी' के लिए।
2012 के बाद से इरफ़ान नीली जर्सी में नज़र नहीं आए हैं। बाएं हाथ में बॉल लिए दाएं हाथ को आगे बढ़ाते हुए अंपायर के ठीक पास एक हल्की जंप और बल्लेबाज ध्वस्त। उम्मीद है ये नज़ारे जल्द ही दुबारा देखने को मिलें!