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हमारे देश में सलाम और सलामी, दोनों की बड़ी इंपोर्टेंस है। सेना में तो सैल्यूट का महत्व ही बढ़ जाता है। अपनी चमकती युनिफॉर्म में सदाबहार तिरंगे को सलाम करने का गर्व ही अलग होता है। यह नज़ारा देखकर हर किसी का सीना फक्र से चौड़ा हो सकता है। शौर्य की यह गाथा अनंत है।
मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारी सेना की तीनों फोर्सेज़ का सैल्युट अलग है। जानिए क्यों:
1. भारतीय सेना – सलाम करने वाले के सामने खुली हथेली
भारतीय सेना में सलाम करने के लिए आपको अपनी हथेली खुली रखनी होती है। साथ ही आपके हाथ में हथियार भी होना ज़रूरी है। आपकी बीच की उंगली और अंगूठा आपके सिर और आईब्रो तक होना चाहिए।
इस सलाम के पीछे वजह है कि यह विश्वास का प्रतीक है। हाथ में हथियार यानी आप कोई हथियार नहीं छुपा रहे और सीधी हथेली का मतलब है कि आपके पास छुपाने को कुछ नहीं।
2. भारतीय नौसेना – हथेली ज़मीन की तरफ
भारतीय नौसेना के सलाम में पूरी हथेली ज़मीन की तरफ होती है। हथेली का हिस्सा ज़मीन के साथ 90 डिग्री का एंगल बनाता है।
इसके पीछे कारण यह है कि पुराने ज़माने में नाविकों के हाथ तेल और ग्रीस के चलते गंदे हो जाते थे। गंदे हाथों से सैल्यूट करना खराब लगता था। इसलिए अपने हाथ छुपाने के लिए इसे सैल्यूट में लिया गया।
3. भारतीय वायु सेना – ज़मीन और हथेली के बीच 45-डिग्री का एंगल
मार्च 2006 में एयर फोर्स ने सैल्यूट की नई गाइडलाइंस जारी की। इसके अनुसार ज़मीन और सीधे हाथ की हथेली के बीच 45-डिग्री का एंगल होना ज़रूरी है। हाथ का आगे का हिस्सा ऊपर की ओर होगा।
यह सलाम आर्मी और नेवी के बीच का सलाम है। वायुसेना पहले आर्मी की तरह ही सलाम करती थी। नेवी और आर्मी, दोनों में विशेष सहयोग देने वाली एयर फोर्स अपने सैल्यूट से उड़ान भी बनाती है।
तो जनाब... हर सैल्यूट कुछ कहता है!!