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होली यानि रंग, अबीर, गुलाल, और फुल टू धमाचौकड़ी। जितनी तरह के रंग होली में लगाए जाते हैं उतनी ही तरह की होली भी भारत में मनाई जाती है। कहीं लठमार होली तो कहीं रंगों की होली। इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं।
बरसाना और नंदगांव की लठमार होली का अपना एक अलग आकर्षण है। यहां रंगों के साथ ही लाठियों से भी होली खेलते हैं। जानें लठमार होली की कुछ खास बातें। लेकिन उससे पहले जानती हैं कि आखिर इस होली को मनाने की वजह क्या है और यह क्यों अलग है।
बरसाना की होली भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मानी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं को कौन नहीं जानाता। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण अपनी प्रेयसी राधा के गांव बरसाना में आए थे।
यहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा के बीच नोंकझोंक हुई। जिसके बाद राधा ने सखियों के साथ श्रीकृष्ण का पीछा किया। उनके हाथ में छड़ियां थीं। इसीलिए तभी से बरसाना में लठमार होली की शुरुआत हुई।
होली मथुरा के आसपास के इलाकों में प्रमुख तौर पर मनाई जाती है। इसमें मथुरा, बरसाना और नंदगांव मुख्य रूप से शामिल हैं। यहां दो दिनों तक होली चलती है। पहले दिन बरसाना और अगले दिन नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है।
जितना अनोखा इसका नाम है उतना ही अनोखा तरीका है। इसकी शुरुआत होती है कृष्ण और गोपियों की झांकियों से। गोपियां बनीं महिलाएं, गोप बने पुरुषों को लाठी से मारती हैं। इसीलिए इसका नाम लठमार होली है।