यह सभी जज का स्वागत करते थे और उस समय सुनहरे लाल कपड़े और भूरे रंग से तैयार गाउन पहना जाता था। सन 1600 में वकीलों की वेशभूषा में बदलाव आया और 1637 में यह प्रस्ताव रखा गया कि काउंसिल को जनता के अनुरूप ही कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद वकीलों ने पूरी लंबाई वाले गाउन पहनने शुरू कर दिया ऐसा माना जाता है उस समय कि यह वेशभूषा न्यायाधीशों और वकीलों को अन्य व्यक्तियों से अलग करती थी।
1694 में क्वीन मैरी की चेचक की बीमारी से जूझते हुए मृत्यु हो गई उनके पति राजा विलियंस ने सभी न्यायधीशों और वकीलों को सार्वजनिक रुप से शोक मनाने के लिए काले गाउन पहनकर इकट्ठा होने का आदेश दिया। इस आदेश को कभी भी रद्द नहीं किया गया जिसके बाद से आज तक यह प्रथा चली आ रही है कि वकील यह पहनावा पहनते आ रहे हैं। सदियां बीत गयी और यह पहनावा वकीलों की पहचान बन गया जिसे आज तक नहीं बदला गया है। अधिनियम 1961 के तहत अदालतों में सफेद बैंड टाई के साथ काला कोट पहन कर आना अनिवार्य कर दिया गया था। यह माना जाता है कि यह ड्रेस कोड वकीलों में अनुशासन लाता है और न्याय के प्रति उनमें विश्वास जगाता है।