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क्या बाजार के इन नियमों में आप भी उलझे रहते हैं? पढ़ लें, नफा-नुकसान में आसानी रहेगी!

Updated Fri, 11 Aug 2017 05:48 PM IST
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Indian Market
Indian Market - फोटो : Arabian Gazette
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बाजार में कुछ नियम दुकानदार और ग्राहकों ने मिलकर बनाए हैं। ये किसी संविधान या नियमावली में नहीं लिखे हैं लेकिन आपसी व्यवहार में बने हुए हैं। कई जगह तो कहने की जरूरत भी नहीं पड़ती। दुकानदार या ग्राहक सिर्फ इशारा करता है और बात हो जाती है।

अगर आप हिंदुस्तान की धरती पर रहते हैं तो इस डील के भागीदार जरूर बने होंगे, ग्राहक चाहे 10 रुपये की सब्जी ले या फिर 1000 रुपये की, बिना मुफ्त की धनिया और मिर्ची की उसकी खरीददारी पूरी नहीं होती।  

ये नियम जूस बार पर लागू नहीं होते, सड़कों के किनारे मौसमी ढेर के पीछे हाथ और घड़-घड़ करती जूस की दुकानों पर लागू होते हैं। यहां ग्राहक 20 रुपये का एक गिलास जूस पीने के बाद, बेझिझक गिलास आगे बढ़ाता है। दुकानदारों के साथ उसकी ट्यूनिंग इतनी जबरदस्त होती है कि दुकानदार भी बिना कुछ बोले, गिलास में बचा हुआ जूस उड़ेल देता है। 

इस वाले नियम को तो संवैधानिक दर्जा दिए जाने के लिए दुकानदारों को आंदोलन करना चाहिए। दुनिया के किसी भी दुकान पर आप चले जाइए, उसके पास छुट्टे पैसे नहीं होते, सामान के संतुलन को पूरा करने के लिए वो जबरन.. टॉफी, बिस्किट और चॉकलेट चिपका देता है। ग्राहकों ने भी इसको स्वीकार कर लिया है अब वो ढीढ की तरह अपनी पसंद वाली टॉफी और बिस्किट मांग लेते है, भईया… वो क्रीम वाला बिस्किट दो न। 

कुछ लोग बहुत ब्रांड कॉन्शियस होते हैं, लेकिन हमारे किराना स्टोर वाले ऐसे लोगों का भी ब्रेन-वॉश कर देते हैं। कल्पना कीजिए, ग्राहक दुकान पर बचपन से ही इस्तेमाल करने वाले टुथपेस्ट को लेने जाता है लेकिन दुकानदार के पास दूसरा लोकल ब्रांड… ढेर सारे डिस्काउंट के साथ मिल रहा है। पहले दुकानदार ग्राहक के सामने ऑफर पेश करता है जब ग्राहक उससे भी नहीं डिगता है तो उसे इस बात का आश्वासन दिया जाता है कि ये अच्छा प्रॉडक्ट है और वो खुद इसे इस्तेमाल करते हैं घर पर… ले जाइए बहन जी, हम खुद इस्तेमाल करते है, ये वाला बढ़िया है।

थाली वाले रेस्टोरेंट में अक्सर ऐसा देखा जाता है। 4 पूड़ी लेने वाले सब्जी परोसने वाले को बगल से गुजरते हुए देख लें तो एक बार आवाज मार ही देते हैं… अरे यार सब्जी दे जाओ जरा। 

कॉम्प्लीमेंट्री, एक ऐसा शब्द है जिसको सुनकर मन में तरंगे उठने लगती है। फ्री में एंट्री के बाद अगर कॉम्प्लीमेंट्री फूड अनलिमिटेड हो, तो डाइट चार्ट फाड़कर किनारे रख दिया जाता हा और जो आता है वो खाया जाता है। फिर चाहे पसंद हो या न हो।  

ये भी एक माइंडसेट का खेल है। फुल प्लेट चाउमिन 120 रुपये, और हाफ प्लेट 60 रुपये। तो ग्राहक का माइंडसेट ऐसा हो चुका है कि वो फुल प्लेट चाउमिन की जगह.. दो हाफ-हाफ प्लेट पैक कराई जाती है क्योंकि हमे ऐसा लगता है कि ज्यादा मिलेगा। ज्यादा मिलने की भावना जो न करवा दे।

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