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बोर्ड के रिज़ल्ट के बाद ये सारी बातें सुनाते हैं लोग

Updated Tue, 24 May 2016 12:32 PM IST
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तो भैया, इंटरमीडिएट के रिज़ल्ट्स आ गए? नम्बर तो अच्छे ही मिले होंगे पर अगर सबको अच्छे नम्बर मिलें तो उस अच्छे की इज़्ज़त थोड़ी न रह जाती है। या हो सकता है आप 95% अंक लेकर भी मुंह बनाए बैठे हों.. संतोष तो रह नहीं गया है इस दुनिया में। उनको देखिए जो 55% पर भी रसगुल्ले बांट रहे हैं। आप ने डिसाइड तो कर रखा है न कि आगे करना क्या है? कर ही रखा होगा। बचपन से मां-बाप-रिश्तेदार-पड़ोसी सब यही तो पूछते आ रहे हैं कि बड़े होकर क्या बनना है? फिर भी अब वो 'बनने' का समय आ ही गया है तो बहुत कुछ अलग होगा आपकी लाइफ में और जो चीज़ सबसे कॉमन होगी वो है सवालों की बौछार। क्या होगा नया आइए जानते हैं। आगे क्या करना है आपका मन तो करता होगा कि कह दें - किसी भी तरह आपका मुंह बंद करना है, बस। पर आप अपनी वही पुरानी रामकहानी लेकर बैठ जाते हैं कि फलां यूनिवर्सिटी का फॉर्म भर दिया है। फलां इंस्टीट्यूट का एंट्रेंस दे दिया है। बार-बार इसी सवाल से आप इतने उब जाते हैं कि मन करता है अपने कमरे के बाहर लिखकर टांग दें और दुनियावालों का मुंह बंद कर दें। कितने मार्क्स आए बेटा? Result1 लोगों को आपकी कितनी परवाह है इसका पता तो इसी सवाल से चलता है। आपके आस-पास जितने भी पड़ोसी और रिश्तेदार हों, सब आपकी खबर लेने लग जाते हैं। जो अंकल कल तक आपके नमस्ते का भी ठीक से जवाब नहीं दे पाते थे वो भी रुक कर पूछ लेते हैं कि तुम्हारा इंटरमीडिएट था न इस साल? कितने नम्बर आए? शर्मा जी के बेटे ने तो टॉप किया है न? "एक बात बताओ, ये शर्मा जी का घर है क्या? अगर नहीं तो उनके बेटे का रिज़ल्ट यहां क्यों सुना रहे हो? मतलब ज़ख़्म पर टाटा नमक लगाने में क्या सुख मिलता है आप लोगों को? आप सुनना क्या चाहते हैं? यहीं न कि शर्मा जी के बेटे के नम्बर मेरे से ज्यादा आए.. और ये बात आपको पहले से पता है, तो? चलो, निकलो यहां से!" कहना तो आप यहीं सब चाहते हैं पर उनके ऐसा कहने पर आप सिर झुका कर खड़े होने के अलावा कुछ नहीं कह पाते। नम्बर तो बढ़िया हैं, तुम इतनी पढ़ाई-वढ़ाई कहां करते थे? Result3 हां, पर आप हमारी जासूसी खूब करते थे। आप लोगों को अपने समय के 53% नम्बर बहुत लगते थे और यहां हम पढ-पढ़ कर जान भी दे दें तो आपको यही लगता है कि अब तो गाजर-मूली की तरह नम्बर बंट रहे हैं। ख़ैर, छोड़िए अब क्या कहें आपसे। पर आपको ऐसे ताने मारकर क्या मिल जाता होगा, पता नहीं। इतने कम नम्बर कैसे आए? और यह सवाल पूछते वक्त चेहरे से ऐसी संवेदना टपकती है जैसे वो आपके कितने बड़े शुभचिंतक हैं। जबकि उनका एजेंडा ही होता है आपको बखूबी एहसास दिलाना कि आपके नम्बर बहुत ही कम हैं। कई बार ये लोग 72% पर भी ऐसा मुंह बनाते हैं जैसे आप थर्ड डिविज़न पास हों। आप पलटकर उनके नम्बर नहीं पूछ सकते न, बस इसी का फायदा उठाया जाता है। चलो, खूब मेहनत करो। तुम तो होशियार हो, अपना करियर सोच-समझकर डिसाइड करना Result2 बस आंटी, आपके यही कहने की ज़रूरत थी नहीं तो मैं कुछ डिसाइड ही नहीं कर पाती। आपको ग्रेड्स से कोई मतलब नहीं। आगे बीटेक-मेडिकल-सीए-यूपीएससी के अलावा भी कुछ कर सकते हैं ये आप जानना ही नहीं चाहतीं लेकिन आशीर्वाद के बहाने धमकियां ज़रूर दे जाती हैं। वैसे नम्बर के बहाने आप लोगों की पंचायत अच्छी-खासी हो जाती है। सच में, हमलोग नम्बर से उतना ख़ौफ़ नहीं खाते जितना कि नम्बर के बाद केबीसी के इस एपिसोड से खाते हैं। नम्बर चाहें जितने भी आएं ये बातें तो आएंगी ही, इनसे आपको कोई नहीं बचा सकता। इसे ही सोसाइटी कहते हैं।
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