झरिबुड़ी गांव का राम सिंह 14 जीवित बेटियों की जिम्मेदारी संभालने के लिए दो बेटे चाहता था। वह दो बीघा जमीन पर मक्के और गेंहू की खेती कर पत्नी कानू संगोट और बच्चों का पेट पालता है। जबकि एक्स्ट्रा इनकम के लिए पत्नी मजदूरी करती है।
– सरकार के नारे (हम दो हमारे दो) को दरकिनार कर राम सिंह ने ‘हम दो हमारे 17 कर दिए’। करीब दो साल पहले जब 16वीं बार कानू प्रेग्नेंट हुई तो उसे एक और लड़के की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
– सरपंच वियरल बेन ने बताया, ”गांववालों ने रामसिंह और कानू को समझाया कि वह अपनी फैमिली पर अब रोक लगाएं। क्योंकि महंगाई के जमाने में इतने बच्चों को पालना बहुत मुश्किल है। कैसे उनकी पढ़ाई और शादियां होंगी?”
राम सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार से फोन पर कहा, ”उसे 17 बच्चों की डिलिवरी डेट का पता नहीं है। कई का नामकरण तो अभी तक नहीं किया गया है।””इकलौते बेटे विजय का जन्म 2013 में हुआ था। 16 में से 2 बेटियों की मौत हो गई, जबकि दो की शादी हो चुकी है। दो बेटियां राजकोट में काम करती हैं।
” पत्नी ने कहा, ”पति के लिए खास था कि दो बेटे हों। हमारे समाज में बहनों के प्रति भाइयों को कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। मेरा इकलौता बेटा इस बोझ को उठाने के लायक नहीं है।”
लो भई अब क्या होगा ये तो राम सिंह ही जाने। 17 बच्चे पैदा करने के लिए ताकत चाहिए। आदमी है कि मशीन। उपर से गरीबी, अब गुजारा कैसे होगा। राम सिंह की नैया राम भरोसे..