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लोग भी ना, बड़े अजीब हैं। पहले कहते हैं कि सरकार काम नहीं करती। अब जब माननीय काम कर रहे हैं, तो उन्हें ही लताड़ रहे हैं। बेचारे बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी। उन्होंने गुंडों से इतनी सी ही बात तो कही ना कि वे श्राद्ध में अपराध करने से परहेज करें। इसमें गलत क्या कह दिया भई।
बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध श्राद्ध मेला लगा है। पूर्वजों को पिंड दान करने के लिए दूर-दराज से लोग प्रदेश आ रहे हैं। अब ऐसे में किसी मेयर को गोलियों से भून दिया जाए, तो अच्छा थोड़े ही लगता है। कितनी बुरी छवि बनती है। एक बार श्राद्ध पक्ष खत्म हो जाए, पर्यटक वापस लौट जाएं, फिर करो जो करना है।
पितृपक्ष खत्म होते ही वे पर्यटक बिहार से इतनी दूर चले जाएंगे कि वहां ना तो उन्हें अखबार मिलेगा, ना टीवी और ना ही रेडियो। जियो का नेटवर्क तक हाथ नहीं लगेगा उन लोगों को। फिर 15 दिन बाद अगर बिहार में कोई अपराध हो भी जाए, तो कानोंकान किसी को खबर थोड़े ही ना लगेगी।
अब देखिए, घर में जब भी कोई मेहमान आने वाला होता है मां घर के बच्चों को समझाती है ना कि वे शरारत ना करें। ठीक उसी तरह सुशील मोदी ने भी तो राज्य के मासूम, नासमझ, नटखट गुंडों से हाथ जोड़ कर निवेदन किया है कि मेहमानों की मौजूदगी में बदमाशी ना करें। हां, ये बात अलग है कि बच्चों की मौज-मस्ती में किसी की जान नहीं जाती, किसी की इज्जत नहीं लुटती, किसी की जीवनभर की कमाई नहीं छिनती, किसी का सपना नहीं टूटता। ये बात भी अलग है कि बच्चे मां-बाप के आंख दिखाने भर से ही डर जाते हैं लेकिन हमारे चंचल गुंडे तो...
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