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लड़कियां बाहर जाते वक़्त हमेशा इस बात का ख़याल रखती हैं कि पानी कम पीना है ताकी टॉयलेट जाने की ज़रुरत न पड़े। क्योंकि हमारे देश में पब्लिक टॉयलेट की काफ़ी कमी है, और अगर हैं भी तो वो बेहद गंदे रहते हैं। आमतौर पर किसी पब्लिक टॉयलेट में जाने से पहले ही ये अंदाजा लग जाता है कि ये गंदा होगा। असल में हमारे देश में लोगों को फ्लश करने की आदत नहीं है उन्हें ये कतई पसंद नहीं है।
इस मामले में इंडियन टॉयलेट फिर थोड़े बेहतर लगते हैं क्योंकि वेस्टर्न टॉयलेट की सीट पर पीले धब्बे देखते ही दिमाग खराब हो जाता है।
गंदगी की वजह से हम सभी पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करने से बचते हैं। अच्छा हमने इसका एक तरीका निकाल लिया है। टॉयलेट सीट को हम टॉयलेट रोल से पूरी तरह से ढंक देते हैं और अपनी तशरीफ़ के लिए साफ़-सुथरा कालीन बना लेते हैं और सोचते हैं कि यार अब इसकी गंदगी हम तक नहीं पहुंचेगी। लेकिन असल में हम ऐसा करके बिल्कुल उल्टा करते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि टॉयलेट सीट ख़ास इस तरह से बनाई जाती हैं कि उनसे आपको किसी तरह का कोई इन्फेक्शन न हो क्योंकि इसे डिज़ाइन ही इस तरह से किया जाता है। वहीं टॉयलेट पेपर गंदगी को सोखने के लिए ही बना होता है। ऐसे में आप करते ये हैं कि जिस टॉयलेट रोल को हर कोई अपने गंदे हाथों से छूता है आप उसे सीट पर बिछा देते हैं और ऐसा करके आप उसकी गंदगी के संपर्क में आ जाते हैं।
आपको पता है कि टॉयलेट में हर जगह उतनी ही गंदगी होती है जितनी एक टॉयलेट सीट पर माने बात बराबर है। आप उल्टे रोल बिछाकर गंदगी को बढ़ाते ही हैं। यहां तक कि आपके शरीर पर इससे ज़्यादा जर्म्स होते हैं।
तो अगली बार से ध्यान रखिए कि टॉयलेट पेपर नहीं बिछाना है।