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स्कूल के वो सुनहरे दिन जब भी याद आते हैं तो बहुत सारी यादें ताज़ा हो जाती हैं। अधूरे होमवर्क, टीचर की डांट, दोस्तों का साथ, कैसे बेफिक्र चलती थी जिंदगी। देखें ऐसी ही स्कूल की यादें जिसे देख अपका दिल और दिमाग इस बात की गवाही देगा कि वह दिन कितने अच्छे थे। उन दिनों बस एक उद्देश्य हुआ करता था, वो भी मस्ती करने का। दुनिया कुछ भी कहे, दिल सिर्फ खेलों को ही ढूंढा करता था। हर साल टीचर्स डे के दिन हमारी बचपन की यादें दिमाग को खटखटाती हैं। सब आंखों के सामने अपने आप एक फिल्म की तरह चलने लगता है। आज आपको उन यादों के झरोंके में ले चलते हैं।जिसे हम सोशल मीडिया के समुद्र में डुबकी लगाकर निकाल कर लाए हैं। आखरी स्लाइड तक आप खुद को रोक नहीं पाएंगे।
वाह क्या ट्यूनिंग हुआ करती थी, जब एक साथ बोलते थे।
पता नहीं क्यों, क्लास में इस काम में किसी को जल्दी नहीं होती थी। सब चाहते थे कि उनकी कॉपी नीचे ही रहे तो अच्छा है।
हमारी तो टीचर ने बताया था हिस्ट्री और सिविक्स की एक ही कॉपी बनेगी।
ग्राउंड फ्लोर में क्लास रुम होता था लेकिन टॉयलेट के लिए हम टॉप फ्लोर के कोने वाले वॉश रुम में जाया करते थे।
हमारे जमाने में तो टेस्ट के लिए इन्ही पन्नों का इस्तेमाल किया करते थे।
यही एक पीरियड था जिसमें समय जल्दी बीत जाता था।
बैक बेंचर्स की टोली में कोई एक सही जवाब देता था तो सारी पलटन की छाती 56 इंच की हो जाती थी।
जब सैलेरी क्रेडिट का मैसेज घनघनाता है तो भी ऐसी खुशी नहीं आती है।
घंटी बजती तो हम भी अपना बैग बंद करके भाग आते।