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आप जब बहुत गुस्से में होते हैं तो क्या करते हैं? आप में से बहुत लोग गुस्सा घोलकर पी जाते हैं तो कुछ लोग तोड़-फोड़ करने लगते हैं। लेकिन इस तोड़-फोड़ के बाद बहुत दुःख भी होता है। लेकिन अब दिल्ली में एक ऐसी जगह खुल गई है जहां आपकी इस समस्या का निदान हो सकता है।
अब अगर आपको गुस्से में किसी को मारने का मन कर रहा है तो आप सीधे यहां आ सकते हैं और अपने मन की मुराद पूरी कर सकते हैं।
इस नए कॉन्सेप्ट का नाम है ब्रेकरूम। ये एक ऐसा कमरा है जो अलग-अलग चीज़ों से भरा हुआ है। यहां आपको इन चीज़ों को तोड़ने-फोड़ने का मौका मिलता है। कोई चीज़ें कब तोड़ता है? एक तो गलती से दूसरा गुस्से और पागलपन में। आप का पागलपन और ज़्यादा न बढ़े और किसी दूसरे को नुक्सान न पहुंचाए इसीलिए इस कमरे को बनाया गया है।
इस जगह की मालिक सांवरी गुप्ता बताती हैं कि इस जगह को बनाने का आईडिया उनके पार्टनर अक्षत गोयल को 2 साल पहले आया। ये कॉन्सेप्ट सबसे पहले टेक्सस में शुरू हुआ था और लोगों ने इसे बहुत पसंद किया था।
ब्रेकडाउन की वेबसाइट पर इसका एक शानदार इंट्रो दिया गया है। इसमें लिखा है कि अगर आपका बॉस आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है, या फिर आपके एक्स की शादी अभी-अभी हुई है, या फिर आप दिल्ली के जाम में घंटों तक फंसे रहे, या फिर आपके पास कोई कारण नहीं है, ब्रेक रूम आपको हल्का महसूस करने का एक मौका दे रहा है।
आपने खुद को शांति देने के लिए ध्यान और योग का सहारा लिया होगा। अब कुछ अलग करके देखिए। ब्रेकरूम में कुछ या सबकुछ तोड़ डालिए। ये ब्रेकरूम गुरुग्राम में खोला गया है। सांवरी बताती हैं कि दुनिया भर में ये चलन साल 2008 से शुरू हुआ जब लोगों ने अपना गुस्सा ज़ाहिर करने का ये तरीका निकाला।
यहां आपको सबसे पहले एक सेफ़्टी सूट दिया जाता है जिससे तोड़-फोड़ के दौरान कहीं आप खुद ही चोट न खा बैठें। इसके बाद आपको 2 ऑप्शन मिलते हैं जिसमें आपको बेसबॉल बैट और क्रिकेट बैट में से किसी एक को अपने हथियार के रूप में चुनना होता है।
अब आप तोड़-फोड़ करने के लिए तैयार हो जाते हैं और तय समय तब तोड़-फोड़ कर सकते हैं। यहां जाने के लिए आपकी उम्र 18 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए और आपके पास एक आईडी प्रूफ होना चाहिए। यहां पर बाकाएदा एक मेन्यू भी है जिसमें समय के हिसाब से रेट लिखे हुए हैं।
देखिए समय कम है और तोड़ने के लिए चीज़ें ज़्यादा। इस मेन्यू को देखकर एक बात तो साफ़ हो जाती है कि ये कुछ-कुछ पटाखे जलाने जैसा ही है। ऐसा भी हो सकता है कि इतने पैसे खर्च करने के बाद आपको जब अपने हाथ में कुछ नज़र न आए, तो आपको गुस्सा आ जाए।
सांवरी बताती हैं कि लोग इस ब्रेकरूम में काफ़ी रुचि दिखा रहे हैं। जो लोग यहां गए उनको काफ़ी मज़ा आया। कुछ को ये किसी फ़िल्मी सीन को फिल्माने जैसा लगा तो किसी को अपना बचपन याद आ गया।
अगर आप सोच रहे हैं कि ये तो चीज़ों की बर्बादी है तो आप गलत है। यहां कुछ भी बर्बाद नहीं होता है। इन सारी चीज़ों को दोबारा रिसाइकिल करने के लिए भेज दिया जाता है। सांवरी कहती हैं कि ऐसा करके वो कबाड़ को और ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
तो दोस्तों अगर आपको बहुत गुस्सा आता है और पैसे भी बहुत हैं तो पहुंच जाइए ब्रेकरूम में। शायद यहां जाकर आपका फ्रस्टेशन कुछ कम हो जाए!