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‘मेरा देश बदल रहा है’ कि छत के नीचे इंडिया में खेलों के प्रति लोगों का नजरिया भी बदल रहा है। क्रिकेट का चार्म बरकरार है लेकिन खेल प्रेमियों ने अब हॉकी, कबड्डी और बैडमिंटन जैसे खेलों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया है। हालांकि क्रिकेट जितनी लोकप्रियता तो दूसरे खेलों को नहीं मिली है। लेकिन कुछ खेलों पर भी ग्लैमरस शाइन पड़ने लगी है। लोग इन खेल के खिलाड़ियों को पहचानने लगे हैं और स्टार के स्टेटस से भी नवाजने लगे हैं। कबड्डी ऐसा ही एक खेल हैं। ग्रामीण तबको का ये खेल अब ऊंची उड़ान भरने के लिए निकल पड़ा है। प्रो कबड्डी लीग जैसे कदमों से कबड्डी की पहचान पर जमी धूल काफी हद तक हटी है।
अब कबड्डी में क्रिकेट जैसी चमक आ रही है तो इस खेल के उन खिलाड़ियों को भी देख लेते हैं जो कबड्डी के मैदान के स्टार हैं, जिनमें दिग्गज खिलाड़ियों की झलक दिखाई देती है।
इन दोनों खिलाड़ियों का सिर्फ नाम ही एक जैसा नहीं है बल्कि दोनों में काफी समानताएं भी हैं। रोहित शर्मा का कवर ड्राइव क्राउड की चियरिंग को चार गुना बढ़ा देता है तो रोहित कुमार का हैंड टच भी कबड्डी के रोमांच को चरम पर ले जाता है। इसके अलावा रोहित कुमार बेंगलुरु बुल्स की कप्तानी संभालते हैं तो रोहित शर्मा मुंबई इंडियंस की, और दोनों ने ही अपनी टीम को चैंपियंस के खिताब से भी नवाजा है। रोहित शर्मा 2009 में डेक्कन चार्जर्स में यंग्स्टर क्रिकेटर का खिताब जीत चुके हैं तो वहीं रोहित कुमार को तीसरे सीजन में पटना पाइरेट्स का टाइटल मिला था।
कबड्डी के किसी भी फैन से अनूप कुमार का जिक्र कर दें वो खुद-ब-खुद धोनी और अनूप कुमार की बराबरी करने लगेगा। दोनों ही मिजाज के शांत और खेल की बिसात को बारीकी से समझने वाले माहिर खिलाड़ी हैं। दोनों की कप्तानी में भारत की झोली में वर्ल्ड कप का खिताब गिरा है। इसके अलावा भी दोनों में कई समानताएं हैं।
न तो धोनी के पिता चाहते थे कि वो क्रिकेट खेलें और न ही अनूप कुमार के घर वाले चाहते थे कि वो कबड्डी के मैदान पर उछलकूद मचाएं लेकिन दोनों ने ही घरवालों को गलत साबित करके दिखाया।
अगर धोनी का हेलीकॉप्टर शॉट, वर्ल्ड फेमस है तो अनूप का ‘टो टच’ देखकर भी आप आंखें बड़ी कर लेंगे। बतौर कप्तान दोनों ही शांत और सुलझे हुए खिलाड़ी है और मौका पड़ने पर अपने दिमाग से खेल को अपनी तरफ मोड़ लेते हैं।
बड़े टूर्नामेंट पर जानदार परफॉर्मेंस के चलते इन दोनों खिलाड़ियों को एक साथ रखा जा सकता है। 2011 के वर्ल्ड कप में युवराज ने वर्ल्ड कप जितवाया था तो 2016 में अजय ठाकुर ने कुछ ऐसी ही भूमिका निभाई थी। 2011 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में युवराज को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था, युवराज ने वर्ल्ड कप 2011 में 362 रन बनाए थे और 15 विकेट झटके थे। अजय ठाकुर भी 2016 के वर्ल्ड कप में बेस्ट रेडर चुने गए थे। इसके अलावा वो 2014 में एशियन गेम्स विनर इंडियन कबड्डी टीम के खिलाड़ी रहे हैं।
युवराज और ठाकुर दोनों ही लीग मैचों के महंगे खिलाड़ियों में रहे हैं। खास बात ये है कि दोनों ही चैंपियन खिलाड़ी लीग मैचों में ऊंची दुकान फीके पकवान टाइप खेलते हैं। मतलब नाम और हल्ला बहुत लेकिन परफॉर्मेंस उतनी दमदार नहीं।
राहुल को कबड्डी की दुनिया का विराट कोहली कहें तो गलत नहीं होगा। राहुल चौधरी और विराट कोहली… दोनों ही अपनी अपनी टीमों के पोस्टर ब्यॉय हैं। दोनों ही रिकॉर्ड होल्डर हैं, विराट जहां तमाम रिकॉर्ड पर एक तरफा कब्जा कर रहे हैं तो वहीं राहुल चौधरी ने एक ही लीग में 146 प्वाइंट का रिकार्ड अपने नाम किया है। भारत में किसी भी खिलाड़ी के नाम इतना बड़ा रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। दोनों ही फिटनेस का खासा ध्यान रखते हैं। विराट 2011 वर्ल्ड कप विनर टीम के हिस्सा थे तो वहीं राहुल चौधरी 2016 की विनिंग टीम के सदस्य रहे हैं।
प्रदीप नरवाल कोर्ट पर बिल्कुल वैसे ही खेलते हैं जैसे सचिन तेंदुलकर मैदान पर जलवा दिखाया करते थे। टीम की रीढ ही हड्डी माने जाते हैं और मौका पड़ने पर परफॉर्म भी करते हैं। प्रदीप की तुलना क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से खुद पटना पाइरेट्स के कोच राम मेहर सिंह ने की थी। उन्होंने कहा था कि प्रदीप दिन-ब-दिन खुद को निखारते जा रहे हैं।
सोर्स- याहू न्यूज