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थके हारे के लिए जन्नत का बिस्तर, नेताओं के लिए खाट सभा का सामान... और फिल्म वालों के लिए रोमांस का टूल... जी हां ये खटिया है बड़ी गजब की चीज।
भोजपुरी गानों में तो खटिया अक्सर शामिल रहती हैं, लेकिन फिल्म राजाबाबू का एक गाना बड़ा फेमस हुआ था- सरकाय लेओ खटिया जाड़ा लगे... गाना द्विअर्थी था... मने डुअल मीनिंग! लेकिन खटिया का एक ही मीनिंग है और वो है- सुकून और आराम की नींद!
खटिया का मजा वही जानता है जो इसका इस्तेमाल करता है। गर्मी के दिनों में नीम के पेड़ के नीचे थके हारे आदमी को खटिया मिल जाए तो समझो जन्नत मिल गई। सारी थकान और बदन दर्द कुछ ही मिनटों में छू मंतर...
चारपाई यानी हमारी खटिया हजारों वर्षों से भारतीय रहन-सहन का अभिन्न हिस्सा रही है। पढ़े लिखे शहरी लोग इसे भले ही गांवों तक सिमटी पिछड़ेपन की निशानी मानते हों लेकिन अब ये विदेश में तहलका मचा रही है। मतलब आईफोन की कीमत में विदेशी इसे अपने यहां बेच रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहने वाले डेनियल बलोरे खटिया को बेचने के लिए अब जोर शोर से प्रचार कर रहे हैं। बलोरे बेड्स का धंधा करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2010 में वह भारत आए थे और तभी उन्होंने खटिया का सुख पहली बार उठाया था। उन्हें खटिया पर लेटना इतना मजेदार लगा कि जब वह गए तो यहां से एक खटिया अपने लिए और एक अपने एक दोस्त के लिए ले गए।
बलोरे यहीं नहीं रुके, उन्होंने खटिया बनाकर बेचना शुरू कर दिया। बलोरे खटिया के विज्ञापन में इसकी कई खूबियां गिनाते हैं और इसे भारतीय सभ्यता की हजारों साल पुरानी चीज बताते हैं।
बलोरे ने एक खटिया की कीमत 990 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर रखी है, इतनी कीमत भारतीय रुपयों में 50 हजार के करीब होती है। यानी एक खटिया की कीमत में एक आईफोन आ सकता है।
ट्विटर पर जब खटिया का विज्ञापन दिखा तो लोगों के दिमाग की बत्ती जल गई। लोगों ने इस पर प्रतिक्रियाएं देनी शुरु कर दीं और देखते ही देखते खटिया का विज्ञापन वायरल हो गया।
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