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इतने तरह के लोग घूमते हैं इंडियन रेलवे ट्रेन में

Updated Tue, 19 Jul 2016 05:30 PM IST
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Train CP..
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विस्तार

भारत में रहते हो? फिर प्लेन और स्पेसशिप के बारे में भले न जानते हो, ट्रेन में तो घूमे ही होगे। नहीं घूमे तो कैसे हिंदुस्तानी। ट्रेन के सफर में मज़ा आता है? बोर होते हो? बकवास लगता है? सबके अलग-अलग अनुभव होंगे। हों भी क्यों न? किसी को बगल वाले बर्थ पर एक खूबसूरत हसीना या कोई हैंडसम लड़का मिल जाता है तो किसी को हर दूसरी बात पर पान की पीक थूकने वाले दादाजी। सबकी अपनी-अपनी किस्मत है भाई ;) । वैसे एक और बात बताएं? रेलवे ट्रेन में घूमने का सही मतलब तभी है अगर स्लीपर या 3rd एसी में घूमते हो। देखो, इंडिया में इतनी जगह मेट्रो ट्रेन आ गई हैं कि हम सिर्फ़ ट्रेन भी नहीं कह पा रहे हैं, रेलवे ट्रेन कहना पड़ रहा है। हां, तो हम कह रहे थे गुरू कि क्या खाक़ ट्रेन में घूमे अगर स्लीपर या 3rd एसी में न घूमे! ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जनरल बोगी तो भैया सबके बस की बात है नहीं। उसके लिए अलग से होनहार लोग आते हैं जो सात समुंदर पार कर के (सॉरी, सात लोगों के ऊपर चढ़कर) भी ट्रेन में घुसने की हिम्मत रखते हैं। भारत की आबादी कितनी ज्यादा बढ़ गई है ये देखना है तो जनरल डिब्बे में आ जाना। कई लोगों को यहां भी जगह नहीं मिलती तो डिब्बे के ऊपर चढ़ जाते हैं, शाहरुख खान वाले स्टाइल में। कायदे से सरकार को इन्हें भी शौर्य चक्र देना चाहिए, पर नहीं देती तो जाने दीजिए। अब हम क्या कर सकते हैं? वो बड़े लोगों का मामला है। फर्स्ट और सेकेंड एसी में लोग इतने चैन से सफर करते हैं कि ट्रेन वाली फीलिंग आती ही नहीं है। अरे जहां आपसे चार लोग पूछ न लें कि कहां जाना है? पढ़ते हो कि नौकरी करते हो? वहां कैसी रेल यात्रा। इसलिए यहां आपकी यात्रा को ट्रेन वाली यात्रा नहीं माना जाएगा। अब आते हैं स्लीपर क्लास पर। इतने लोग यहां मिलते हैं भाईसाहब कि लगता है रिश्तेदारों की दूसरी किश्त मिल गई हो। सवाल भी एक से बढ़कर एक, आप कभी-कभी भूल भी सकते हैं कि अपने बर्थ पर बैठे हैं या केबीसी की हॉट सीट पर। तो कितने तरह के नमूने मिलते हैं यहां, आइए देखते हैं।

ये भाई साहब लोग पिकनिक मनाते चलते हैं। दोस्ती नहीं टूटेगी भले आपकी नींद रात में 10 बार टूट जाए।

train boys  

बस कुंडली मांगना भूल जाती हैं आंटी जी। बाकी का जनरल नॉलेज बढ़ा लेती हैं पूरी जर्नी में।

Train aunty  

बहस के लिए न इससे अच्छी जगह मिलेगी और न इससे अधिक वैराइटी के लोग। पूरा संसद यहीं से चलाते हैं ये लोग।

Train men  

अब भैया, मैडम जी घर से बाहर हैं। इससे बढ़िया मौका थोड़ी न मिलेगा रात भर चैटियाने का। इनकी खुसर-फुसर रात भर चलती है।

train girl  

अगर ये सब नहीं सुनना है तो कोई मैगेज़िन या नॉवेल निकाल लो और उसी में आंखें गड़ाये रहो। नहीं तो 4 घंटे में भी सारा Moral Science पढ़ लोगे।

train uncle  

बाप रे! कहां से आते हैं ऐसे मां-बाप जो बच्चों की तारीफ़ करते नहीं थकते? हमें क्यों नहीं मिले बे?

Train kiran यहां आपको नींद आ सकती है, पर आप अपनी मर्ज़ी से सो नहीं सकते। आपका मिडल बर्थ है और नीचे वाली आंटी अभी थोड़ी देर में खाना खाएंगी। जय-वीरू वाली टोली है ही। ऊपर से रात के 2 बजे भी उठेंगे तो दिखेगा कि मैडम अब भी अपने जानू से बात कर रही हैं। अगर आपका बैठे-बैठे फिल्म देखने का मन है तो आप वो भी नहीं देख सकते। एक अंकल जी बैठे होंगे आपके साथ केबीसी खेलने के लिए। संसद की बैठक भी होती ही है। ख़ैर, जो भी है.. ये सब इंडियन रेलवे ट्रेन में ही मिलेगा। ऐसा सफ़र कहीं और कहां। ;) :-P
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