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बोर्ड एग्जाम खत्म हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जल्द ही रिजल्ट भी आने वाले हैं और बच्चों की दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। कॉपियों की चेकिंग भी शुरू हो गई है और शिक्षकों को एक से बढ़कर एक जवाब पढ़ने को मिल रहे हैं। हर बोर्ड में प्रश्नों के उत्तर लिखने और नंबर देने का अलग-अलग तरीका होता है। कोई कहता है जवाब छोटा और सटीक होना चाहिए तो कोई कहता है कि जवाब लंबा होना जरूरी है। यही वजह है कि कई लोगों को आपने कहते सुना होगा कि फलां बोर्ड के टीचर तो कॉपी पढ़ते भी नहीं हम तो गाना लिखकर चले आए थे और तब भी पास हो गए।
कुछ बच्चे इससे भी आगे निकल गए। वे ढंग से पढ़ाई करके नहीं आते और फिर उनको समझ में नहीं आता कि अपनी आंसर शीट में क्या लिखें। उनको अपने असफल होने का भी डर बना रहता है। ऐसे में वे पास होने का हर संभव तरीका अपनाते हैं। नकल काम न आने पर छात्र फरियाद लगाते हैं, और उनकी इन फरियादों को पढ़कर कई बार पेपर जांचने वाले शिक्षक या तो हैरान रह जाते हैं या लोटपोट हो जाते हैं। आप भी हो जाएंगे जब पढ़ेंगे...
पास करने को कहने का सबसे बड़ा बहाना है मेरी शादी होने वाली है! हाल ही में यूपी के एक शिक्षक ने बताया कि कैसे एक लड़की ने अपनी आंसर शीट में लिखा कि 28 जून को मेरी शादी है, प्लीज मुझे पास कर दीजिए वरना मेरे मम्मी पापा नाराज होंगे।
वहीं एक दूसरी लड़की ने कहा कि मुझे पास कर दीजिए वरना मेरी जेठानी मुझे ताने देंगी। यह तो हो गया शादी का बहाना। कुछ लोग इससे बहुत आगे बढ़कर खुद को पास करवाने की कोशिश करते हैं।
कई बार शिक्षकों को आंसरशीट में रुपये भी मिलते हैं। छात्र इस उम्मीद से रुपये जोड़ देते हैं कि शिक्षक उन्हें पास कर ही देगा। अब उन्हें क्या पता कि शिक्षक तक पहुंचने से पहले यह कॉपियां कई लोगों के हाथ में पहुंचती हैं और उनके नोट कहां गायब हो जाते होंगे उन्हें पता भी नहीं चलता होगा।
तीसरा बहाना होता है बीमारी का। यह बहाना सबसे अधिक भावुक कर देने वाला होता है। कई छात्र या तो अपनी बीमारी का बहाना बनाते हैं या फिर अपने किसी करीबी की। वो पढ़ाई न कर पाने के लिए बीमारी को ही सबसे बड़ी वजह बनाकर पेश कर देते हैं।
बच्चे चाहे जो भी कर लें, लेकिन उन्हें एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब तक वे पढ़ाई करके सही जवाब नहीं लिखेंगे उन्हें नंबर नहीं मिलेंगे। ऐसे में गाने लिखने और पास करने की अर्जी देने भर से उनका काम नहीं बनेगा। वैसे समय बदल रहा है, हो सकता है कि लोगों के बहाने भी बदल जाएं।