विस्तार
देखिए भारत में मां-बाप और स्कूल सेक्स एजुकेशन देने में चाहे जितना भी हिचकिचाएं लेकिन बच्चों की जिज्ञासाओं को आप बिल्कुल भी शांत नहीं कर सकते। पीरियड्स भी ऐसा ही एक मुद्दा है। घर की महिलाएं बच्चों से इसे छिपा सकती हैं और छिपाती भी हैं। खैर महिलाओं को तो इस बारे में बच्चों क्या बड़ों से भी बात करने की इजाज़त नहीं है, लेकिन इसपर हम फिर कभी पंचायत लगाएंगे।
टीवी इस मुद्दे को नहीं छिपा पाता क्योंकि उसका बाज़ार इससे जुड़ा हुआ है। बच्चों के अंदर सबसे अधिक सवाल सैनेट्री नैपकिन्स को लेकर ही पैदा होते हैं और हों भी क्यों न टीवी इनके विज्ञापनों से भरा पड़ा है। इसीलिए पीरियड्स और पैड को लेकर बच्चे खुद अपनी कहानियां बनाने लगते हैं। ज़ाहिर है ऐसा आपके साथ भी हुआ होगा।
आज कुछ लड़के हमें बता रहे हैं कि बचपन में उनको पीरियड्स को लेकर क्या गलतफ़हमी थी।
इसका इस्तेमाल महिलाएं करती हैं और महिला मतलब मां, मां मतलब खाना, खाना मतलब किचन। इस वजह से इन जनाब ने अपनी एक अलग ही धारणा बना रखी थी।
अब आलस दिखाकर जब बच्चे से कुछ मंगाएंगे और बाद में उसको गायब कर देंगे तो उसके मन में सवाल पैदा नहीं होगा?
हां यार देखने में ये किसी पट्टी जैसा ही नज़र आता है। उस बच्ची ने सही बात कुछ-कुछ पकड़ ली थी।
आखिर दादा-दादी के लिए भी तो डायपर आते हैं!
ये तो ज़्यादा हो गया।
खैर इसीलिए बच्चों को सही समय पर सही जानकारी देना ज़रूरी होता है जिससे कि वो अर्थ का अनर्थ न समझ लें।