विस्तार
आज दिल्ली में कायदे से इस मॉनसून की पहली बारिश हुई। आप भीगे क्या? नहीं भीगे? तो फिर मॉनसून के नाम पर आपकी तड़प बेकार है। आप मौसम देखकर दूर से ही खुश होते रहते हैं पर उसमें डूबने से बचते हैं। अमां घुल थोड़ी जाते आप बारिश के पानी में! ख़ैर, बारिश के नाम पर हम सब के दिमाग में कुछ न कुछ आता ज़रूर है, किसी चीज़ की तलब रहती है; कुछ करना चाहते हैं हम सब। या फिर कोई बात एक ही बार में दिमाग में क्लिक कर जाती है, क्या आपको भी यही याद आ रहा है?
कागज़ की कश्ती
बारिश का ख्याल आते ही कागज़ की कश्ती सबसे पहले याद आती है। बचपन में कॉपी के पन्ने फाड़कर नाव बनाया करते थे और इसके लिए मम्मी की डांट भी पड़ती थी। हमारे बीच एक कॉम्प्टीशन जैसा होता था कि किसी नाव ज्यादा दूरी तय करती है। बारिश खत्म होते ही एक ओर खूब सारे कागज़ मिलते थे।
कीचड़ और गंदगी
पता नहीं कैसे लोगों को बारिश पर प्यार आता है, मेरे लिए तो ये मुसीबत है। उफ़्फ़! देखो फिर से बरसने लगा। अब स्कूल कैसे जाऊंगी, ऑफिस के लिए लेट हो रही हूं। लोग बारिश की बात करते हैं तो आसमान की खूबसूरती ही क्यों देखते हैं? ज़मीन का कीचड़ कैसे भूल जाते हैं? अब रास्ते में पानी जमा होगा और सारे कपड़े खराब हो जाएंगे। रोड जाम होगा सो अलग।
चाय-समोसे और पकौड़े
मौसम बारिश का हो और चाय-समोसे से दूरी बनी रहे, ऐसे तो नहीं चलेगा बेटा! हम तो बारिश शुरू होते ही तिलमिला जाते हैं। आस-पास के हलवाई के यहां चार चक्कर लगा आते हैं। आप घर में रहते हों तो और अच्छी बात है, रूम में कबतक पड़े रहेंगे? किचन में जाइए। इसी मौसम में चटपटा स्वाद ज़बान पर चढ़ता है।
काश! वो अभी यहां होता..
बूंदों की रिमझिम के साथ ही आप किसी को याद करने लगते हैं। मूड थोड़ा खराब भी हो तो बन ही जाता है। कुछ चीज़ें अपने आप सेट हो जाती हैं। आप उसे याद करने लगते हैं। लगता है कि इस वक्त उसका साथ मिल जाता तो कितना अच्छा होता न? बारिश से जुड़े सारे रोमांटिक गाने आपके दिल के तार छेड़ जाते हैं। आप उसे दूर भी हों तो एक बार कॉल करने से तो आपको अभी कोई नहीं रोक सकता।
लाइट चली गई यार!
आप मेट्रो शहर के बाशिंदे हैं तो शायद ये आपको न पता हो पर छोटे शहरों में थोड़ी-सी हवा चली नहीं कि करेंट के डर से लाइट कनेक्शन काट देते हैं। बारिश हो रही हो तो लाइट का जाना आम बात है। ऐसे में आप इनवर्टर के भरोसे जितनी मस्ती कर सकते हैं, कर लीजिए क्योंकि जबतक बारिश बंद न हो, लाइट तो नहीं आने वाली।
सड़क के गड्ढे उफ़्फ़!
सड़क के साथ उसके गड्ढे मुफ्त में आते हैं। सामान्य तौर पर भी हम उन्हें कम नहीं कोसते पर बारिश के बाद तो दिमाग का दही हो जाता है। पानी भरा हुआ है, अब अपनी दिव्य दृष्टि से देख सकते हो कि कहां की सड़क ठीक है और कहां गड्ढे हैं तो देख लो.. नहीं तो कहां गाड़ी जाएगी और बैलेंस बिगड़ेगा ये खुद समझना। पैदल चलने वालों की तो और हालत खराब होती है, कौन-सी गाड़ी आकर उन्हें शावर दे जाए, कुछ कह नहीं सकते।
ये बारिश कब बंद होगी?
कुछ लोग बादल देखकर बार-बार सोचते हैं कि जल्दी से बारिश होगी, पर कुछ लोग उस बिरादरी में भी आते हैं जो आसमान देखकर परेशान होने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इससे पहले कि बारिश हो, उन्हें ऑफिस पहुंच जाना चाहिए। कुछ तैयार बैठे बारिश के रुकने का इंतज़ार करते रहते हैं। उन्हें कहीं जाना तो होता है पर जाएं कैसे? बाहर तो बारिश हो रही है, और हर किसी को इस बारिश ंमें रोमांस नज़र नहीं आता न। कुछ को सड़क पर बहता नाली का पानी और ट्रैफिक का जाम भी नज़र आता है।
ख़ैर, आप अपनी बैटरिया थोड़ी चार्ज करिए और बारिश का मज़ा लीजिए। :)