मुंह में स्वाद और मिठास घोल देने के लिए 'लंगड़ा आम' का सिर्फ नाम ही काफी है। गर्मी शुरू होते ही आम की मीठी सुगंध जैसे हवाओं में घुल जाती है। इस मौसम में आम का मिलना एक बड़ी राहत पहुंचाता है। हम में से अधिकतर लोगों का पसंदीदा फल है आम। जहां पके आम को खाने का अपना अलग आनंद होता है।
आम की ढेरों किस्मों का उत्पादन भारत में किया जाता है। जिनमें से हमारी पहुंच में आने वाले आमों में दशहरी, हापुस, चौंसा, केसर, तोतापरी, सफेदा, सिंदूरी, नीलम और लंगड़ा आम हैं। इन आमों के अनोखे नाम होने का कारण इनकी अलग-अलग प्रकृति है जो इनकी बनावट और स्वाद से जुड़ा है।
लेकिन 'लंगड़ा आम' इस नाम के पीछे एक कहानी है, जिसे अधिकांश लोगों ने सुनी भी होगी।
अक्सर आपने देखा होगा कि आम का रंग पीला ही होगा लेकिन मई से अगस्त तक आने वाला लंगड़ा आम हरे रंग का होता है। इसके बावजूद भी दूसरे नस्ल के आमों की तुलन में ज्यादा मीठा और मुलायम होता है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में उगाया जाता है। लेकिन इसके जन्म की कहानी बनारस से जुड़ी है और इसलिए बनारस के लंगड़ा आम पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हैं।
इस लंगड़ा आम के पीछे एक छोटी सी कहानी है, जिसके बाद से इस आम को हर कोई जानने लगा।