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वैसे तो ये इंडिया है और यहां हर गली हर मौहल्ले में आपको भविष्य बताने वाले मिल ही जाएंगे जो, आपका हाथ देखकर सब कुछ बता देंगे। अब इनमें कितनी सच्चाई होती है वो तो नहीं पता, लेकिन यहां भविष्य जानने के लिए जन्म कुंडली, हस्तरेखा और न्यूमरोलॉजी का सहारा लिया जाता है। ज्योतिष की दुनिया में छिपे सवालों का जवाब देने के लिए मौजूद इन सभी विधाओं में एक और विधा भी है जिसे टैरो कार्ड रीडिंग कहा जाता है।
ताश के पत्तों की तरह दिखने वाले इन टैरो कार्ड के ऊपर कुछ रहस्यमय चिह्न बने होते हैं जो, संबंधित व्यक्ति के साथ भविष्य में होने वाली घटनाओं को बहुत हद तक अनुमानित कर सकते हैं। व्यक्ति के प्रश्नों के एवज में वे कार्ड स्वयं उत्तर देते हैं, जिनके ऊपर उसके साथ होने वाले हालात निर्भर करते हैं।
अगर टैरो कार्ड रीडिंग की बात करें तो आपको जानकार हैरानी होगी कि भविष्य की सटीक जानकारी देने वाली टैरो कार्ड रीडिंग की इस विधा को सबसे पहले चौदहवीं शताब्दी में इटली में मनोरंजन के माध्यम के तौर पर अपनाया गया था। लेकिन बहुत ही जल्द यह विद्या यूरोप के बहुत से देशों में फैल गई और धीरे-धीरे इसे मात्र मनोरंजन का साधन ना मानकर भविष्य जानने की गूढ़ विद्या के तौर पर अपना लिया गया। 18वीं शताब्दी तक पहुंचते-पहुंचते टैरो कार्ड रीडिंग इंग्लैंड व फ्रांस में भी बहुत लोकप्रिय हो गई।
टैरो कार्ड के ऊपर अंक, रंग, संकेत तथा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश जैसे पांच तत्व दर्शाए गए होते हैं, जिनके आधार पर भविष्य का अनुमान लगाया जाता है। आपने देखा होगा की जहां ज्योतिष की अन्य विधाओं में पुरुषों का बोल बाला है वही टैरो कार्ड पढ़ने वाले लोगों में अधिकांशत: महिलाएं ही होती हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि टैरो कार्ड एक ऐसी प्रणाली है जिसमें गणित का जरा भी प्रयोग नहीं होता, बस अनुमान लगाने की क्षमता सटीक और अचूक होनी चाहिए।
वैज्ञानिक तौर भी पर यह प्रमाणित है कि अनुमान लगाने की क्षमता पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है। इसलिए टैरो कार्ड रीडर महिलाएं ही होती है।
टैरो कार्ड रीडिंग के अंतर्गत डेक (ताश के पत्तो) में से उठाए गये कार्ड पर बने चित्रों व संकेतों के क्या अर्थ हैं, वह किस ओर इशारा कर रहे हैं, आपके भविष्य को किस दिशा में मोड़ सकते हैं, के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। साथ ही वे कार्ड प्रश्नकर्ता की वर्तमान समय और उसकी मानसिक स्थिति भी दर्शाते हैं।
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