साबुन का रंग कोई भी हो लेकिन उसका झाग हमेशा सफेद ही होता है, क्यों कि...
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Fri, 14 Dec 2018 01:18 PM IST
साबुन जिसे लगभग हर कोई इस्तेमाल करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि साबुन लाल, पीला, नीला या गुलाबी हो सकता है लेकिन उसका झाग हमेशा सफेद ही क्यों बनता है? साबुन लगाने के बाद उसका रंग कहां गायब हो जाता है? ये ऐसे सवाल हैं जो शायद ही कभी जहन में आए हों, लेकिन क्या आप इनके जवाब जानते हैं?
दरअसल, साबुन का झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। ये सबसे छोटी पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली फिल्म होती है। ये पतली फिल्म जब गोल आकार ले लेती है तो हम इसे बुलबुला कहते हैं। दरअसल साबुन का झाग छोटे-छोटे बुलबुलों का समूह होता है।
साबुन के एक बुलबुले में सूर्य की किरणें जाते ही अलग-अलग दिशा में रिफलेक्ट होने लगती हैं। यानी सूर्य की किरणें किसी एक दिशा में न जाने की बजाय अलग-अलग दिशा में बिखर जाती हैं। यही वजह होती है कि साबुन का एक बुलबुला पारदर्शी सतरंगी जैसा दिखाई देता है। आसमान का रंग भी सफेद दिखने की यही वजह है।
झाग बनाने वाले छोटे-छोटे बुलबुले भी इसी तरह के सतरंगी पारदर्शी बुलबुलों से बने होते हैं लेकिन ये इतने बारीक होते हैं कि हम सातों रंगों को नहीं देख पाते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रकाश इतनी तेजी से घूमता है कि वो सभी रंगों को परिवर्तित करता रहता है। यानि कोई वस्तु सभी रंगों को परिवर्तित कर दे तो उसका रंग सफेद दिखाई देता है। इसी वजह से साबुन का रंग सफेद दिखाई देता है।
आपको अपने स्कूल टाइम की साइंस क्लास याद है न। जिसमें बड़े सिंपल अंदाज में बताया गया था कि किसी वस्तु का अपना रंग नहीं होता है। वस्तु पर जब प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तो वो बाकी रंगों को एब्जॉर्व कर जिस रंग को रिफलेक्ट करती है वही उसका रंग होता है। वही नियम कहता है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को एब्जॉर्व कर लेती है तो वह काली दिखाई देती है। जब कोई वस्तु सभी रंगों को रिफलेक्ट कर देती है तो वो सफेद दिखाई देती है। यही नियम साबुन के झाग पर भी लागू होता है।