भारत में ऐसी कई रहस्यमयी जगहे हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। ऐसा ही एक गांव है हिमाचल प्रदेश का मलाणा, जिसे भारत का सबसे रहस्यमयी गांव कहा जााता है। इस गांव में आने वाले बाहरी लोगों के लिए सख्स नियम-कानून बनाए गए हैं। यहां की अपनी संसद है, जो सारे फैसले करती है।
इस गांव में अगर किसी बाहरी व्यक्ति ने किसी चीज को छुआ तो जुर्माना देना पड़ता है। जुर्माने की रकम 1000 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक हो सकती है। यहां तक कि बाहरी लोगों को इस गांव में मकान, दुकान या किसी स्थानीय निवासी को भी छूने की मनाही है।
मलाणा गांव के लोगों ने यहां हर जगह नोटिस बोर्ड लगा रखे हैं। इन नोटिस बोर्ड पर साफ-साफ चेतावनी लिखी गई है। गांव के लोग बाहरी लोगों पर हर पल निगाह रखते हैं। जरा सी लापरवाही भी यहां आने वालों पर भारी पड़ जाती है।
कहते हैं कि इस गांव में जो दुकानें हैं, वहां गांव के लोग तो आसानी से सामान खरीद सकते हैं, पर बाहरी लोग दुकान में न तो जा सकते हैं और न ही दुकान को छू सकते हैं। बाहरी ग्राहकों को दुकान के बाहर से ही खड़े होकर सामान मांगना पड़ता है। दुकानदार पहले सामान की कीमत बताते हैं और फिर ग्राहक द्वारा पैसे दुकान के बाहर रखने के बाद सामान भी वो बाहर ही रख देते हैं।
यहां के लोग जमदग्नि ऋषि की पूजा करते हैं और उनका एक मंदिर भी है। हालांकि गांववाले उन्हें जमलू देवता के नाम से बुलाते हैं। लकड़ी के खंबों वाले इस मंदिर के दरवाजे पर खूबसूरत नक्काशी है, लेकिन यह दिखने में बड़ा ही अजीब लगता है। यहां एक दीवार पर हड्डियां, खोपड़ियां और बलि चढ़ाए गए दूसरे जानवरों के अंग लटके हुए दिखाई देते हैं। मंदिर की एक दीवार पर चेतावनी भी लिखी है। अगर कोई बाहरी इस मंदिर को छूता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा।
यहां के निवासी खुद को सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं। उस दौर की कई चीजें गांव में मिली भी हैं। कहा जाता है कि सिकंदर के जमाने की एक तलवार गांव के मंदिर में रखी हुई है।
इस गांव के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं। स्थानीय लोग इसे पवित्र जबान मानते हैं। इसे बाहरी लोगों को नहीं सिखाया जाता। यह भाषा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती है। हालांकि स्थानीय लोग हिंदी समझ जाते हैं, लेकिन वो अपनी भाषा में किसी भी सवाल का जवाब देते हैं।