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Moving Stones Death Valley California
अपने आप खिसकते हैं ये पत्थर, नासा भी नहीं सुलझा पाया इनकी गुत्थी
Rahul Ashiwal
Updated Wed, 21 Dec 2016 09:47 AM IST
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विस्तार
डेथ वैली पूर्वी कैलिफोर्निया में स्थित एक रेगिस्तान है। यह उत्तरी अमेरिका का सबसे गर्म, सूखा और विचित्र स्थान है। कैलिफोर्निया के डेथवैली की संरचना और तापमान भू-वैज्ञानिकों को हमेशा से चौंकाता रहा है। मगर इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली चीज अपने आप खिसकते पत्थर, जिन्हें सेलिंग स्टोंस के नाम से भी जाना जाता है। यहां के रेसट्रैक क्षेत्र में 320 किलोग्राम तक के पत्थरों को जगह बदलते देखा गया है।
कैलिफोर्निया की डेथ वैली में कुछ पत्थरों का खुद-ब-खुद खिसकना नासा के लिए भी एक पहेली बनी हुई है। रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है। लेकिन यहां बिखरे पत्थर खुद ब खुद खिसकते रहते हैं। यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं। हालांकि, किसी ने उन्हें आंखों से खिसकते नहीं देखा।
सर्दियों में ये पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके मिलते हैं। 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई। टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया। केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर अध्ययन के दौरान ज़रा भी नहीं हिला। लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने केरीन को 1 किलोमीटर दूर पाया। अब वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण ऐसा होता है।
अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि इन पत्थरों की इस अद्भुत गतिविधि का कारण मौसम की खास स्थिति हो सकती है। इस बारे में किए गए शोध बताते हैं कि रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाएं, रात को जमने वाली बर्फ और सतह के ऊपर गीली मिट्टी की पतली परत, ये सब मिलकर पत्थरों को गतिमान करते होंगे।
बिना किसी हलचल या बल प्रयोग के खिसकते ये पत्थर 1900 के दशक से रहस्य बने रहे। कुछ लोग इसका कारण पारलौकिक शक्तियों को बताते हैं। इतने ही साल से वैज्ञानिक भी इनका कारण पता लगा रहे हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इनका राज जानने के लिए शोध कर चुकी है। वहीं स्पेन की कम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी के भूवैज्ञानिकों की टीम ने इसका कारण मिट्टी में मौजूद माइक्रोब्स की कॉलोनी को बताया था।
ये माइक्रोब्स साइनोबैक्टीरिया व एककोशिकीय शैवाल हैं, जिनके कारण झील के तल में चिकना पदार्थ और गैस पैदा होती है। इससे पत्थर तल में पकड़ नहीं बना पाते। सर्द मौसम में तेज हवा के थपेड़ों से ये अपनी जगह से खिसक जाते हैं।
वैसे तो कई वैज्ञानिको ने अपनी अपनी राय दी है लेकिन अभी तक ये साफ तौर पर जाहिर नहीं हो पाया है कि आखिर इसका राज क्या है और क्यों पत्थर अपने आप अपने स्थान से खिसक जाते हैं।
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