सदियों से दी जा रही है 21 तोपों की सलामी, दुश्मनों को सम्मान देने से हुई थी शुरुआत
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Sat, 26 Jan 2019 02:37 PM IST
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का, इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना! देश भक्ति से जुड़े इस गाने को बचपन से सुनते आ रहे हैं। खासकर 15 अगस्त और 26 जनवरी को बजने वाले ये गाने देश के हर इंसान को इतिहास के सुनहरे पल की याद दिला देते हैं और सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। भारत में '26 जनवरी' या 'गणतंत्र दिवस' को मनाने का तरीका सालों से उसी तरह चलता आ रहा रहा है, जैसे सन 1950 में पहली बार मनाया गया था। लेकिन यह जान कर बहुत ही आश्चर्य होता है कि हम में से कई लोगों को इनके महत्व के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
आज जानिए गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों में से एक '21 तोपों की सलामी' के महत्व के बारे में। गणतंत्र दिवस पर दर्शकों को आकर्षित करने वाला ये बहुत ही गौरवपूर्ण पल होता है जब देश के राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसकी खास बात यह है कि 21 तोपों की ये सलामी 52 सेकंड तक चलने वाले राष्ट्रगान के दौरान 2.25 सेकंड के अंतराल पर दी जाती है। इसके लिए अभी भी ब्रिटिश शासन की 7 तोपों का इस्तेमाल किया जाता है।
21 तोपों की सलामी देने की शुरुआत ब्रिटिश काल में 17वीं शताब्दी में तब हुई जब नौसेना ने समुद्र में दुश्मन को शांतिपूर्ण वातावरण बनाये रखने के लिए जहाज पर मौजूद हथियारों से हवाई फायर किया और उनसे भी उनकी सहमति जताने के लिए ऐसा ही करने को बोला। उस समय तोपों को लोड और अनलोड करने में काफी समय लगता था इसलिए उन्होंने बंदूकों से फायर किया। ब्रिटिश सैनिकों द्वारा किया गया यह प्रयास एक परंपरा के रूप में अपने दुश्मन के प्रति सम्मान दिखाने के लिए किया जाने लगा।
इस सवाल का जवाब यह है कि उस समय ब्रिटिश युद्धपोतों पर, बाइबिल में उल्लेखित 7 अंक का विशेष महत्व होने के कारण एक स्थान पर 7 हथियारों को एक साथ रखा जाता था। इसलिए उस समय शांति का सन्देश देने के लिए 7 हथियारों से 3-3 बार समुद्र में फायर किया गया था और तब से ही ये 21 तोपों की सलामी देने का रिवाज शुरू हुआ।
हांलाकि, भारत में इस परंपरा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान ही हुई थी और आजादी से पहले यहां स्थानीय राजाओं और जम्मू-कश्मीर जैसी रियासतों के प्रमुखों को 19 या 17 तोपों की सलामी दी जाती थी।