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सभी समस्याओं को छोड़ अब बंदरगणना करेंगे दिल्ली के तीनों निगम

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Thu, 11 Jul 2019 06:44 PM IST
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प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर - फोटो : self
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दिल्ली में बंदरों का आतंक खूब है लिहाजा दिल्ली के तीनों नगर निगम ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। फैसला ऐसा कि या तो आप अपना सिर खुजाने लगेंगे या फिर फूट-फूटकर हंसने लगेंगे। चलिए देर न करते हुए आपको इस फैसले से रू-ब-रू करवाते हैं। राजधानी में बंदरों की समस्या कितनी भयानक है, इसे समझने के लिए दिल्ली में मौजूद बंदरों की जनगणना की जाएगी। यह जनगणना देहरादून में मौजूद वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से होगी। अबतक बंदरों को पकड़ने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। 
मतलब यह हुआ कि 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जो निर्देश दिया था उसकी धज्जियां उड़ गई हैं। यानी केजरीवाल जी बस नेताओं पर आरोप ही लगाते रहे और अपने बंदरों पर लगाम न लगा पाए। खैर, दिल्ली हाईकोर्ट का फैसले के बाद तीनो निगम भी आपस में ही कनफूजिया गए कि इन आतंकी बंदरों से निपटने की जिम्मेदारी है किसकी। आपको बता दें, 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से बंदरों को पकड़ने के लिये पिंजरा मुहैया कराने तथा नगर निगमों को इसे अलग-अलग स्थानों पर रखने का निर्देश दिया था।
लगातार मिल रही असफलता के बाद अब पहली बार तीनों निगमों की बैठक हुई और जनगणना का फैसला लिया गया। अबतक इस बात की जानकारी नहीं है कि दिल्ली में आखिरकार कितने बंदर हैं। निगम पहले भी रिहायशी इलाकों से बंदरों को पकड़कर असोला वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी भेज चुका है। इसपर करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। बावजूद इसके राजधानी में पिछले साल बंदरों के काटने के 950 मामले सामने आए। इसमें से दो लोगों की तो मौत भी हो गई। 
रिहायशी इलाकों में बंदरों के प्रवेश को रोकने के लिए अदालत ने अधिकारियों को वैसी जगहों के बाहरी क्षेत्र में 15 फुट ऊंची दीवार बनाने का भी निर्देश दिया था जहां बंदरों को भेजा गया है। अधिकारियों ने बताया कि 20,000 से अधिक बंदरों को सैंक्चुअरी भेजा गया लेकिन रिहायशी इलाकों में कितने बंदर इधर-उधर भटक रहे हैं, इसका कोई असली आंकड़ा उनके पास है ही नहीं । 
 
चलिए एक बारी को मान लेते हैं कि बंदरों का आतंक बढ़ गया है लेकिन इस बीच ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो बढ़ गई है। आधे दिल्ली में पीने के लिए पानी नहीं है, पूरी दिल्ली प्रदूषण की चपेट में है फिर भी इन सभी समस्याओं को छोड़कर दिल्ली चली है बंदर पकड़ने, भई वाह।
 
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