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Former Prime Minister Of Netherlands And His Wife Chose Their Own Death By Euthanasia
Netherlands Euthanasia: 70 साल की मोहब्बत का हुआ ऐसा अंत, खुद अपनी मौत का दिन और वक्त चुना
फिरकी टीम, नई दिल्ली
Published by: सोनिया चौहान
Updated Thu, 15 Feb 2024 12:01 PM IST
सार
नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइस वेन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन ने 93 साल की उम्र में स्वेच्छा से मौत को गले लगाया है। दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कहने के लिए कपल ने इच्छा मृत्यु को चुना।
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नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइस वेन
- फोटो : social media
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विस्तार
यूरोपीय देश नीदरलैंड से एक ऐसा झकझोर कर देने वाला मामला सामने आया है। जिससे जानने के बाद आपकी भी रूह कांप जाएंगी। नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइस वेन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन ने 93 साल की उम्र में स्वेच्छा से मौत को गले लगाया। दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कहने के लिए कपल ने इच्छा मृत्यु को चुना। बता दें कि कपल का उनके होमटाउन निजमेगेन में निधन हुआ है। ड्राइस वेन एग्त 1977 से 1982 तक नीदरलैंड देश के प्रधानमंत्री रहे थे।
ड्राइस वेन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन ने जिंदगी के 70 साल साथ में बिताए थे। ड्राइस वेन एग्त पत्नी यूजीन को बेहद प्यार करते थे। वेन एग्त पत्नी यूजीन को प्यार से 'माय गर्ल' बुलाया करते थे। कपल की उम्र में भी ज्यादा फांसला ना था दोनों की ही उम्र 93 के करीब थी।
ड्राइस वेन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन दोनों काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 2019 में ब्रेन हैमरेज के होने के बाद से ही ड्राइस वेन एग्त काफी लाचार हो गए थे। वेन एग्त ने जीवन के आखिरी पलों में पत्नी यूजीन के हाथों में हाथ डाल कर स्वेच्छा से मौत को गले लगाया। कपल ने खुद अपनी मौत का दिन और वक्त चुना। इस वेन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन की इच्छा मृत्यु के समय डॉक्टर्स का पैनल भी वहां मौजूद था
क्या होती है इच्छा मृत्यु
इच्छा मृत्यु का मतलब किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा से मृत्यु दे देना होता है। इसमें डॉक्टर की मदद से उसके जीवन का अंत किया जाता है, ताकि उसे दर्द से छुटकारा दिलाया जा सके। इच्छा मृत्यु की मांग वही शख्स कर सकता है, जो लाइलाज बीमारी से पीड़ित हो या उसकी कोई सेहत में कोई सुधार ना हो रहा हो। बता दें कि नीदरलैंड में साल 2000 में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता मिली थी
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में 'इच्छा मृत्यु' को मंजूरी दी थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस भी जारी की थी, हालांकि अब भी इच्छा मृत्यु की प्रक्रिया बहुत जटिल है।उस समय कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जिस तरह व्यक्ति को जीने का का अधिकार है, उसी तरह गरिमा से मरने का अधिकार भी है।
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