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Holi 2023: 150 सालों से इन गांवों में नहीं मनाई गई होली, जानिए इसके पीछे की वजह

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Tue, 07 Mar 2023 04:28 PM IST
सार

क्या आपको पता है कि देश में एक जगह ऐसी भी है जहां बीते कई साल से लोगों ने होली नहीं खेली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ऐसे दो गांव हैं जहां पिछले 150-160 साल से लोगों ने होली नहीं खेली।

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150 सालों से इन गांवों में नहीं मनाई गई होली
150 सालों से इन गांवों में नहीं मनाई गई होली - फोटो : istock
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विस्तार

Trending News: पूरे देश में लोगों को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है। लोग हफ्तेभर पहले से ही सोशल मीडिया पर अपने रंग-बिरंगे चेहरे पोस्ट करने लगते हैं। वहीं कुछ लोग दोस्तों और रिश्तेदारों को होली की अग्रिम बधाई भी देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में एक जगह ऐसी भी है जहां बीते कई साल से लोगों ने होली नहीं खेली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ऐसे दो गांव हैं जहां पिछले 150-160 साल से लोगों ने होली में रंग-अबीर नहीं उड़ाया। यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक, होली ना मनाने की वजह देवी माता का प्रकोप है। वैसे तो हर त्यौहार को आनंद या उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म के लोग होली को हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि रंगों के साथ पूरी दुनिया में मानते हैं।

क्यों नहीं मनाई जाती होली
कोरबा जिले में दो ऐसे गांव है जहां होली का त्यौहार सालों से बिना रंग के ही मनाया जाता है। दरअसल, यहां होली के दिन पकवान तो बनते है, लेकिन होलिका दहन और रंग-गुलाल के साथ एन्जॉय नहीं किया जाता है। कोरबा जिले के खरहरी गांव में 35 किलोमीटर की दूरी पर मां मड़वारानी के प्राकट्य पहाड़ों के नीचे बसा हुआ है। बताया जाता है कि इस गांव में पिछले 150 सालों से होली नहीं मनाई गई। गांव के बुजुर्गों के मुताबिक उनके जन्म के काफी समय पहले से ही गांव में होली ना मनाने का रिवाज चलता आ रहै है।

बुजुर्गों ने बताया कि सालों पहले गांव में भीषण आग लगी थी, जिससे गांव भर में महामारी फैल गई थी। इस दौरान लोगों को भारी नुकसान हुआ। तब एक रोज गांव के एक बैगा (हकीम) के सपने में देवी मां मडवारानी प्रकट हुईं, उन्होंने बैगा को इस त्रासदी से बचने का उपाय बताते हुए कहा कि अगर गांव में होली का त्योहार नहीं मनाया जाए तो गांव की हालत फिर से सुधर जाएगी। इसके बाद से इस गांव में होली का त्योहार कभी नहीं मनाया गया।  

दूसरे गांव में ऐसी है मान्यता
इसके अलावा धमनागुड़ी गांव में भी कई सालों से लोगों ने होली नहीं खेली है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर गांव में कोई होली खेलता है कि तो यहां के देवी-देवता नाराज हो जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई साल पहले जब गांव में पुरुष होली के दिन नशे में धुत होकर गाली-गलौच कर रहे थे। तब गांव की महिलाओं के शरीर में डंगनहीन माता (बाँस की देवी) आ गईं और उन्होंने बांस से पुरुषों की खूब पिटाई की। जब पुरुषों ने माफी मांगी तो माता ने उन्हें गांव में होली ना मनाने की शर्त पर छोड़ा। यही वजह है कि आज भी यहां पर कोई होली नहीं खेलता है।
 

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