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हमारे समाज में स्त्रियों को देवी का स्वरूप माना गया है, ऐसे में महिलाओं ने भी इस बात का हमेशा मान रखा है। हाल ही में एक केरल की रहने वाली पुलिस अधिकारी एम. आर. रम्या ने अपने नेक काम से समाज में मानवता की नई मिसाल पेश की है। उन्होंने न केवल अपनी वर्दी का मान रखा, बल्कि एक मां के फर्ज को भी बखूबी निभाया है। दरअसल कोझिकोड़ के चेवायूर थाने की सिविल पुलिस अधिकारी रम्या ने एक 12 दिन के बच्चे को अपना दूध पिलाकर उसकी जान बचाई है, जिसके लिए उन्हें पुलिस प्रशासन से साथ-साथ आम लोगों से भी तारीफ मिल रही है। इन दिनों ये पूरा मामला सोशल मीडिया पर काफी तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है। एम. आर. रम्या ने जिस प्रकार बच्चे को जीवनदान दिया है उसे देखते हुए चारों ओर उनकी तारीफ हो रही है। आइए आपको पूरे मामले के बारे में बताते हैं।
पुलिस अधिकारी एम. आर. रम्या के चर्चा में रहने की वजह उनकी ड्यूटी और उनका मातृक स्वभाव है, जिसके लिए उन्हें केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवान रामचंद्रन द्वारा तारीफ मिली। यही नहीं राज्य के पुलिस महानिदेशक अनिल कांत ने भी महिला अधिकारी के काम की सराहना की है।
दरअसल, पति और पत्नी के झगड़े के कारण पति बच्चे को अपने साथ लेकर चला गया था। इसपर बच्चे की मां ने कोझिकोड़ के चेवायूर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस पति के कार्य स्थल पर पहुंच गई परंतु वहां कोई नहीं मिला। राज्य की सीमा पर वाहनों की जांच करते हुए पिता और बच्चे को पाया गया। इस दौरान बच्चा की हालत बेहद नाजुक थी।
ऐसे में बच्चे को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का शुगर लेवल कम है क्योंकि काफी समय से बच्चा भूखा था। इसके बाद चेवायूर पुलिस टीम में शामिल रम्या बच्चे को लाने वायनाड गईं और आगे आते हुए कहा कि वह बच्चे को दूध पिलाना चाहती हैं। डॉक्टरों ने इसकी इजाजत दी, जिससे बच्चे की जान बच गई।
रम्या के अनुसार उन्हें कभी नहीं लगा कि उन्होंने कुछ असाधारण या अमान्य किया है। दरअसल, उस स्थिति में वो एक पुलिस अधिकारी से ज्यादा एक महिला और मां थीं और बच्चे की तड़प नहीं देख सकती थी।