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Know About Fact From History About The Proverb Kahan Raja Bhoj Kahan Gangu Teli
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली' के पीछे की कहानी, जानें कैसे बनी ये कहावत...!
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by: Ayush Jha
Updated Fri, 29 Jan 2021 07:57 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : social media
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विस्तार
ये कहावत तो न जाने कितनी बार सुनी होगी कि, कहां राजा भोज कहां गंगू तेली। भले ही ये कहावत मज़ाक के तौर पर बोली जाती हो लेकिन इसके पीछे सच्ची कहानी छिपी हुई है। इस कहावत में दो नाम आते हैं एक तो राजा भोज और दूसरा गंगू तेली। राजा भोज कौन थे ये तो शायद आप जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि ये गंगू तेली कौन था? कैसे पता होगा, इस ऐतिहासिक चरित्र के बारे में बहुत कम वर्णन किया गया है। हालांकि, इतिहास कारों के गंगू तेली को अलग-अलग मत हैं।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर धार की नगरी को राजा भोज की नगरी कहा जाता है। 11 वीं सदी में ये शहर मालवा की राजधानी रह चुका है। राजा भोज 11 वीं सदी में मालवा और मध्य भारत के राजा थे। इतिहास के अनुसार राजा भोज शस्त्रों के साथ-साथ शास्त्रों के भी ज्ञाता माने जाते थे।
'कहां राजा भोज कहां गंगू तेली...' कहावत में जिस गंगू तेली का बात होती है वो कोई एक नहीं, बल्कि दो व्यक्ति थे। गंगू का असली नाम कलचुरि नरेश गांगेय था और तेली, चालुक्य नरेश तैलंग थे। एक बार गांगेय और तैलंग ने मिल कर राजा भोज की नगरी धार पर आक्रमण किया, मगर उन दोनों को राजा भोज के पराक्रम के आगे घुटने टेकने पड़े। इस लड़ाई के बाद धार के लोगों ने गांगेय और तैलंग की हंसी उड़ाते हुए कहा कि 'कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली।' तभी से ये कहावत आज भी आम बोलचाल में इस्तेमाल की जाती है।
इस कहावत से जुड़ी एक कहानी और भी प्रचलित है जिसके अनुसार, राजा भोज के महाराष्ट्र के पनहाला किले की दीवार बार-बार गिरती रहती थी, तब इसके उपाय के लिए किसी ने उन्हें बताया कि अगर किसी नवजात बच्चे और उसकी मां की बलि इस जगह पर दे दी जाए तो दीवार गिरना बंद हो जाएगी। कहते हैं कि “गंगू तेली” नाम के शख़्स ने इसके लिए अपनी पत्नी और बच्चे की कुर्बानी दी। मगर बाद में उसको अपने इस काम पर घमंड हो गया और लोग उसके घमंड को देखकर कहने लगे – 'कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली'।
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