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जिंदा कोबरा का खून पीने के साथ जहरीले बिच्छू खाते हैं ये खतरनाक कमांडो, जानिए इनके बारे में

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Shashi Shashi Updated Sat, 17 Jul 2021 02:49 PM IST
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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : pinterest
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'कमांडो' ये नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में एक ऐसे इंसान की छवि बनती है जो किसी भी कठीनाई में लड़ सकता है औऱ खतरनाक से खतरनाक मिशन को भी पूरा कर सकता है। कमांडो शब्द लैडिन भाषा के शब्द कमांडेर से बना है। कमांडो वो होते हैं जो हर वक्त हर परिस्थिति में किसी भी मिशन को पूरा करने के लिए तैयार रहते हैं। इन्हें स्पेशल ऑपरेशंस के लिए खासतौर पर ट्रेनिंग देकर तैयार किया जाता है। आज हम आपको ऐसे ही कमांडो के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी ट्रेनिंग बहुत ही कठीन होती है। इन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। अमेरिका  के मरीन कमांडो को दुनिया की सबसे खूंखार और ताकतवर कमांडो फोर्स कहा जाता है। इनका बारे में कहा जाता है कि मरीन कमांडो का नाम सुनते ही दुश्मन कांप जाता है। अमेरिका की यह कमांडो फोर्स द्वितीय विश्व युद्ध के समय से सक्रिय है। मरीन कमांडो यूनिट अमेरिकी सेनाओं की एक ब्रांच है जो समंदर में अपनी ताकत का प्रदर्शन करती है। ये बहुत लंबी दूरी तक भी पानी के अंदर-अंदर तैरकर दुश्मन का खात्मा  करने में सक्षम होते हैं। 
 
 

कमांडो को कोबरा का खून पीना है जरूरी
मरीन कोर के कमांडो को ट्रेनिंग के दौरान घने जंगलों  में जिंदा रहने का तरीका सिखाया जाता है। इसमें सर्ववाइवल टेक्निक पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। जब यह टेक्निक सिखाई जाती है तो इनके लिए जिंदा कोबरा का खून पीना जरुरी होता है। इन लोगों को जिंदा मुर्गों को मारकर खाना, छिपकली को मारकर खाना और इन्हें जंगल में रहने वाले बाकी जिंदा जानवरों को मारकर खाना होता है।

पेटा ने दर्ज करवाई थी आपत्ति
हर साल होने वाले  युद्ध अभ्यास के दौरान प्रत्येक कमांडो को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए कोबरा का खून पीना होता है। इस अभ्यास को कोबरा गोल्ड कहा जाता है। इसमें जंगल से कोबरा सांप को पकड़कर उनका खून कमांडो के मुंह में गिराया जाता है अगर ये इसे करने से मना कर देते हैं तो इन्हें हमेशा के लिए सर्विस से हटा दिया जाता है। सिर्फ कोबरा ही नहीं इन्हें जहरीले बिच्छू भी खाने होते हैं। पेटा पशुओं के अधिकारो और उनकी रक्षा के लिए काम करने वाली एक संस्था है, इसलिए पेटा ने कोबरा के खून पीने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। 
 

शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से चुनौतिपूर्ण होती है ट्रेनिंग
मरीन कमांडो को ट्रेनिंग के दौरान न केवल शारीरिक बल्कि मानसित तौर पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनकी ट्रेनिंग किसी भी सैन्य सेवा की ट्रेनिंग की तुलना में बहुत ज्यादा  कठिन  होती है। जहां सेना कि ट्रेनिंग 10 हफ्ते और नेवी की ट्रेनिंग 9 हफ्तों की होती है तो वहीं ये ट्रेनिंग पूरे 13 हफ्तों की होती है। कमांडो ट्रेनिंग में चाहें पुरुष हो या फिर महिला दोनों को समान रुप से हिस्सा लेना होता है। इसे सबसे कठीन ट्रेनिंग माना जाता है। 

इस ट्रेनिंग के लिए बहुत कम लोगों का चुनाव किया जाता है। मरीन कमांडो बनने के लिए पहले फिटनेस टेस्ट देना होता है। इसमें पास होने के बाद ही ट्रेनिंग शुरु की जाती है। जो इस टेस्ट में फेल हो जाता है उसे बाहर कर दिया जाता है। हर साल 35 से 40,000 जवान इस मुश्किल ट्रेनिंग को पूरा करके मरींस बनते हैं। इन कमांडो को इस तरह से ट्रेनिंग दी जाती है कि ये पलक झपकते ही दुश्मन का खात्मा कर सकते हैं। इन्हें हर तरह के हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। चाहें वह छोटे से छोटा चाकू है या फिर आधुनिक तकनीक से लैस हथियार। 

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