भारत में इस जगह कुछ भी करने से पहले लेनी पड़ती है ब्रिटिश सरकार से इजाजत, वजह जान आप भी हो जाएंगे हैरान
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Ayush Jha
Updated Sun, 22 Nov 2020 10:22 PM IST
Kohima War Cemetery
- फोटो : The reDiscovery Project
जब तुम घर जाना तो उन्हें हमारे बारे में बताना और कहना कि 'तुम्हारे आने वाले कल के लिए हमने अपना आज कुर्बान कर दिया' यह पक्तियां कोहिमा के कोहिमा युद्ध स्मारक पर पत्थरों पर खुदी हुई हैं जो इस स्मारक में प्रवेश करते ही पर्यटकों को दिख जाएंगी। यह पंक्तियां कोहिमा के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देकर लिखी गई है।
kohima war cemetery
- फोटो : सोशल मीडिया
15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो गया था। यानी भारत को अंग्रेजों से मुक्ति मिल गई थी। तब से देश के हर कोने-कोने पर भारत सरकार का राज है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ही एक ऐसी भी जगह है, जहां आज भी ब्रिटिश सरकार की ही हुकूमत चलती है। यहां कुछ भी करने से पहले भारत को ब्रिटिश सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है।
kohima war cemetery memory stone
- फोटो : Social Media
अब आप सोच रहे होंगे कि हम ब्रिटिश दूतावास की बात रहे हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय कानून के चलते कुछ भी करने के लिए ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। जी नहीं, हम बात कर रहे हैं उस जगह की, जो भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में होते हुए भी नहीं है।
kohima war cemetery
- फोटो : social media
ये जगह है नागालैंड की राजधानी कोहिमा में, जिसे पूरी दुनिया 'कोहिमा वॉर सिमेट्री' यानी कोहिमा युद्ध स्मारक के नाम से जानती है। यहां दूसरे विश्वयुद्ध में शहीद हुए 2700 ब्रिटिश सैनिकों की कब्र है। यहीं पर चिंडविन नदी के किनारे जापान की सेना ने आजाद हिंद फौज के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार पर हमला किया था, जिसे इतिहास में कोहिमा युद्ध के नाम से जाना जाता है।
kohima war cemetery commonwealth graves commission
- फोटो : Maps of India
ब्रिटिश सरकार ने अपने सैनिकों की याद में इस जगह पर स्मारक बनवाया था। चूंकि उस समय दुनिया के अधिकतर राज्यों में ब्रिटेन की हुकूमत थी, इसलिए ऐसे कई स्मारक भारत के अलावा दूसरे देशों जैसे, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी बनवाये गए हैं।
यहां मौजूद सभी स्मारकों (कब्रगाहों) की देख-रेख का काम कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन के जिम्मे है। इसलिए ऐसी जगहों पर भारतीयों को फोटो खींचने से लेकर रख-रखाव के काम तक को करने के लिए भी ब्रिटिश सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है।
kohima war cemetery
- फोटो : Social Media
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल इस स्मारक के पास की सड़क को चौड़ा करने का प्रस्ताव भारत की ओर से दिया गया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उसे खारिज कर दिया था। हालांकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस संस्था के पदाधिकारी तमाल सान्याल इस जगह को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए भारत सरकार से बात कर रहे हैं।