Home Omg Know The Story Of Longwa Village Where People Crosses Borders Without Visa

ये है अनोखा गांव जहां लोगों के पास दो देशों की नागरिकता, 60 पत्नियों के संग रहता है गांव का मुखिया

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Sun, 14 Jun 2020 08:49 PM IST
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longwa village
longwa village - फोटो : social media
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आज जब पूरी दुनिया में इंसानों ने खुद को सरहदों के बीच बांट लिया है। ठीक उसी समय इंसानों की एक ऐसी भी बस्ती है, जहां सरहदें मायने नहीं रखती हैं. ये बस्ती भारत की सरहद पर बसी है, इस बस्ती में रहने वालों लोगों के पास दो देशों की नागरिकता प्राप्त है।
इस गांव का नाम है लोंगवा, जिसका आधा हिस्सा भारत में पड़ता है और आधा म्यांमार में। इस गांव की एक और खास बात ये है कि सदियों से यहां रहने वाले लोगों के बीच दुश्मन का सिर काटने की परंपरा चल रही थी, जिस पर 1940 में प्रतिबंध लगाया गया। 
लोंगवा नागालैंड के मोन जिले में घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी गांव है। यहां कोंयाक आदिवासी रहते हैं। इन्हें बेहद ही खूंखार माना जाता है। अपने कबीले की सत्ता और जमीन पर कब्जे के लिए वो अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाईयां किया करते थे। 
साल 1940 से पहले कोंयाक आदिवासी अपने कबीले और उसकी जमीन पर कब्जे के लिए वो अन्य लोगों के सिर काट देते थे। कोयांक आदिवासियों को हेड हंटर्स भी कहा जाता है। इन आदिवासियों के ज्यादातर गांव पहाड़ी की चोटी पर होते थे, ताकि वे दुश्मनों पर नजर रख सकें। हालांकि 1940 में ही हेड हंटिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। माना जाता है कि 1969 के बाद हेड हंटिंग की घटना इन आदिवासियों के गांव में नहीं हुई। 
कहा जाता है कि इस गांव को दो हिस्सों में कैसे बांटा जाए, इस सवाल का जवाब नहीं सूझने पर अधिकारियों ने तय किया कि सीमा रेखा गांव के बीचों-बीच से जाएगी, लेकिन कोंयाक पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। बॉर्डर के पिलर पर एक तरफ बर्मीज में (म्यांमार की भाषा) और दूसरी तरफ हिंदी में संदेश लिखा हुआ है। 
कहते हैं कि कोयांक आदिवासियों में मुखिया प्रथा चलती है। यह मुखिया कई गांवों का प्रमुख होता है। उन्हें एक से ज्यादा पत्नियां रखने की छूट है। फिलहाल जो यहां का मुखिया है, उसकी 60 बीवियां हैं। भारत और म्यांमार की सीमा इस गांव के मुखिया के घर के बीच से होकर निकलती है। इसलिए कहा जाता है कि यहां का मुखिया खाना भारत में खाता है और सोता म्यांमार में है। इस गांव के लोगों को भारत और म्यांमार दोनों देशों की नागरिकता मिली हुई है। वो बिना पासपोर्ट-वीजा के दोनों देशों की यात्रा कर सकते हैं। 
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