वॉकर को पिछले साल फरवरी में एक रेडियो कॉलर लगाया गया था। उसने अपने लिए सही स्थान खोजने के लिए मॉनसून की बारिश शुरू होने तक जंगलों में घूमना जारी रखा। वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि 'वॉकर ने ये 3000 किलोमीटर की यात्रा सीधे नहीं की। हर घंटे जीपीएस के सहारे उसकी लोकेशन दर्ज की जाती थी। इस दौरान वॉकर की लोकेशन 5,000 से अधिक स्थानों में दर्ज की गई।' वॉकर अधिकांश हिस्से में नदी, नालों और राजमार्गों के साथ-साथ खेतों में, कभी आगे-कभी पीछे यात्रा करते हुए ट्रैक किया गया। महाराष्ट्र में सर्दियों में कपास उगाने का मौसम होता है। कपास की ऊंची फसल में ये बाघ आसानी से छिपते-छिपाते आगे बढ़ता रहा। वह ज्यादातर रात में यात्रा करता था, खाने के लिए जंगली सूअर और मवेशियों को मारता था। अपनी इस लंबी और जोखिम भरी यात्रा के दौरान वॉकर सिर्फ एक बार मनुष्यों के साथ संघर्ष में आया था, जब एक आदमी उसके पंजों के निशानों के सहारे, एक घनी झाड़ी में बैठे वॉकर के पास पहुंच गया था। ये शख्स मामूली रूप से घायल हो गया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ जीव विज्ञानी डॉक्टर बिलाल हबीब ने बताया, 'एक बाघ की यह लंबी यात्रा दिखाती है कि विकास और बढ़ती मानव आबादी के बावजूद, महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्र अभी भी बाघों के लिए स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने में मददगार हैं। इन इलाकों में विकास अब भी जंगली जानवरों की आवाजाही में बाधा नहीं बना है।'This #Tiger from India after walking into records has settled to Dnyanganga forest. He walked for 2000 Kms through canals, fields, forest, roads & no conflict recorded. Resting in daytime & walking in night all for finding a suitable partner. Was being continuously monitored. pic.twitter.com/N1jKGXtMh2
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) March 5, 2020