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हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी (विशेष सुरक्षा दल) 'स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप' नाम की संस्था के पास होती है। एसपीजी पूर्व प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार की सुरक्षा का ध्यान भी रखती है। प्रधानमंत्री जहां से गुजरते हैं, उनके चप्पे-चप्पे पर एसपीजी के अचूक निशानेबाज तैनात होते हैं।
एसपीजी के जवान FNF-2000 असॉल्ट राइफल, ऑटोमैटिक गन और 17-एम नामक खतरनाक पिस्टल जैसे आधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं, लेकिन क्या आप जानतें हैं कि अगर प्रधानमंत्री चाहें तो वे इस सुरक्षा को लेने से इंकार कर सकते हैं।
पीएम की सिक्योरिटी में कई हथकंडे अपनाए जाते हैं जिसके बारे में अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। कमांडोज बहुत ही कठिन ट्रेनिंग से गुजरते हैं ऐसे में ब्रीफकेस की आपको जानकारी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि ये तकनीक विदेशों में भी इस्तेमाल की जाती है अतः कोई खुफिया जानकारी नहीं है।
क्या अपने कभी ध्यान दिया है कि इन बॉडीगार्ड्स के हाथ में ब्रीफकेस या सूटकेस भी होता है। लगभग प्रधानमंत्री की हर तस्वीर में किसी न किसी सिक्योरिटी अफसर के हाथ में ये ब्रीफकेस होता है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या मोदी कहीं से भी न्यूक्लियर बम चला सकते हैं? क्या इस ब्रीफकेस का पासवर्ड सिर्फ उन्हीं के पास है? क्या आपने कभी सोचा है कि इस ब्रीफकेस में आखिर क्या रहता है?
प्रधानमंत्री से कुछ फीट दूर रहने वाला ये पतला सा सूटकेस काफी खास होता है। इस बारे में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि ये कोई न्यूक्लियर ब्रीफकेस नहीं, बल्कि पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड या पोर्टेबल फोल्डआउट बैलिस्टिक शील्ड होती है, जिसे हमले के दौरान खोला जा सकता है जो कि एनआईजी लेवल-3 की सुरक्षा प्रदान करती है। ये पूरी तरह खुल जाता है और रक्षा कवच का काम करता है, ये उनकी पर्सनल प्रोटेक्शन के लिए है। इसका काम ये है कि अगर प्रधानमंत्री पर कोई आतंकी हमला होता है, तो सुरक्षा कमांडो फौरन इसे खोल कर पीएम को कवर कर लें।
जब भी सुरक्षा बलों को पीएम की सुरक्षा को लेकर किसी भी खतरे या संदिग्ध गतिविधि का अंदेशा होता है, वे प्रधानमंत्री को सुरक्षित करने के लिए उस शील्ड को नीचे की ओर झटका देते हैं जिससे वह शील्ड खुल जाती है। देखा जाए तो यह एक तरह से ढाल का काम करती है जोकि अति विशिष्ट व्यक्तियों को तत्काल और अस्थायी सुरक्षा देती है। इस ब्रीफकेस में एक गुप्त जेब भी होती है जिसमें पिस्तौल को रखा जाता है।
क्या आप जानतें हैं कि भारतीय परमाणु हथियारों को कब और कैसे इस्तेमाल करना है, इसका निर्णय लेने का एकाधिकार भारत के प्रधानमंत्री को नहीं है। यह निर्णय लेने का अधिकार परमाणु कमान प्राधिकरण (Nuclear Command Authority) को है।
एसपीजी के साथ एक काउंटर अटैक टीम (कैट) CAT (Counter Assault Team) भी होती है। इस टीम के पास 'एफ. एन-2000', पी-90, ग्लोक-17, ग्लोक-19 और 'एफ. एन-5' जैसे हथियारों को इस्तेमाल करने की कला भी होती है। इस टीम को कठोर प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है और इसकी खासियत है कि प्रधानमंत्री पर किसी भी हमले के दौरान यह तेजी से कार्रवाई करती है।
एसपीजी (special protection group) का पद तीन साल के निश्चित कार्यकाल के लिए बनाया गया है। SPG फोर्स कैबिनेट सचिवालय के अंतर्गत काम करता है और रक्षा सचिव इसका प्रमुख होता है।एसपीजी देश के विशिष्ट व्यक्तियों के अलावा राजनयिक यात्राओं पर आए दुनिया भर के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय मेहमानों को भी सुरक्षा प्रदान करती है, आप उन्हें हर जगह हर कोने की जांच और हर संभावित खतरे को नष्ट करते देख सकते हैं।
एसपीजी कैबिनेट सचिवालय के तहत आता है और इसके महानिदेशक भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी होते हैं। एसपीजी के कमांडो का चुनाव 'केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल' और 'रेलवे सुरक्षा बल' के जवानों में से किया जाता है। लेकिन इसकी कमान आईपीएस या आरपीएफ के अधिकारियों के हाथों होती है। एसपीजी लगातार विशिष्ट व्यक्तियों को सर्वोच्च सुरक्षा प्रदान कर रहा है।