लोकसभा चुनाव के आखिरी राउंड से पहले नेताओं में इस बात की होड़ लगी है की अपनी पार्टी को कौन कितना झुकाएगा, नीचा दिखाएगा और ज्यादा से ज्यादा माफी मांगने पर मजबूर करेगा। होड़ लगी है। प्रचार की भूख से ज्यादा अपनी पार्टी को ऊंचा उठाने की रेस लगी है। अनरगल बयानबाजी की बारिश हो रही है और पार्टी की फजीहत हो रही है। मुंह छिपाने को जगह नहीं है। छत छोटी पड़ रही है। क्या कांग्रेस और क्या बीजेपी। कोई किसी से कम नहीं।
कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर के 'नीच आदमी' वाला बयान लोग भूल भी नहीं पाए थे कि मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विवादित बोल सुर्खियां बटोर रहे हैं। साध्वी के बोल फूट ही नहीं रहे बल्कि बिखकर चारों ओर हवा में फैल रहे हैं। इतने कि पार्टी ऐसे बोल-बचनों की आंधी में माफी मांगने के लिए जगह ढूंढ रही है। सुना है कि साध्वी इस नये आप्त वचनों पर वैसे ही शर्मिंदा हैं जैसे की शहीद हेमंत करकरे वाले बयान पर थीं।
नाथूराम गोडसे को लेकर फिर गरमाई सियासत
बहरहाल, मामला आगर मालवा शहर में रोड शो के दौरान एक पत्रकार से बात करते हुए घटित हुआ। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जुबान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर पूछे सवाल पर भावुक हो गईं। ये भावुकता गोडसे के पक्ष में गिरी। उड़ता तीर था वोट के प्रलोभन में छूट गया और दोबारा लौट आया। बोलने की आदत ने माफी मंगवा दी।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा नाथूराम गोडसे देश भक्त थे, हैं और रहेंगे। उनको आतंकवादी कहने वाले लोग स्वयं की गिरेबान में झांक कर देखें, ऐसा बोलने वालों को इस चुनाव में जवाब दे दिया जाएगा। हालांकि, जब साध्वी प्रज्ञा से पूछा गया कि क्या आप नाथूराम गोडसे का समर्थन करती हैं तो उन्होंने इस सवाल को नजरअंदाज कर दिया।
बता दें कि, कुछ ही दिन पहले अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन द्वारा तमिलनाडु के अरवाकुरिची विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान गोडसे पर बयान दिया था। इसके बाद से गोडसे को लेकर तमाम राजनीतिक दल अपना बयान दे रहे हैं।
महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का उल्लेख करते हुए कमल हासन ने बीते रविवार को कहा था कि 'मैं महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने खड़ा होकर बोल रहा हूं कि स्वतंत्र भारत का पहले आतंकी हिंदू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे था यानी आजाद भारत का पहला उग्रवादी एक हिंदू था।'
पहले भी दिए हैं विवादित बयान
बता दें, प्रज्ञा ने कहा था आतंकवादी विरोधी दस्ते (एटीएस) प्रमुख करकरे ने मालेगांव विस्फोट मामले की जांच के दौरान उन्हें यातनाएं दी थीं और उनके श्राप की वजह से ही करकरे की 26/11 आतंकवादी हमले में मौत हुई थी। इसके अलावा उन्होंने एक बयान दिया था कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में शामिल होने के लिए उन्हें अपने ऊपर गर्व है। इस मसले पर चुनाव आयोग से प्रज्ञा ने दिवंगत आईपीएस अधिकारी के खिलाफ अपने बयान के लिए माफी मांगी थी।
साध्वी प्रज्ञा के बयान से पहले नाथू राम गोडसे को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी बयान दे चुके हैं। ओवैसी ने कहा था कि जिसने महत्मा गांधी की हत्या कि उसे हम महात्मा कहें या राक्षस। आतंकी कहें या हत्यारा? कपूर कमीशन की रिपोर्ट में साजिशकर्ता के रूप में जिसकी भूमिका साबित हुई, आप उसे महापुरुष कहेंगे या 'नीच'? हम उसे आतंकवादी कहेंगे।
हालांकि, साध्वी के बयान से भाजपा ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी उनसे इस मामले पर सफाई मांगेगी और उनसे सार्वजनिक तौर पर इसे लेकर माफी मांगने के लिए कहेगी।
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