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थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब चुनाव प्रचार से लगता है। नेताओं की बदजुबानी तो आए दिन ही सुर्खियों में छायी रहती है। सोशल मीडिया पर यूजर जोर-शोर से चर्चा कर रहे हैं कि आखिर जूता, थप्पड़, अंडरगारमेंट का रंग, बली-अली और भी न जाने क्या-क्या इस चुनाव में इस्तेमाल किया जाएगा पर असल मुद्दों का क्या?
मुमकिन और नामुमकिन, न्याय और अन्याय के बीच इस बार शुरू हुआ सियासी दंगल दिन प्रतिदिन अपना स्तर गिराता चला जा रहा है। रोजगार, कालाधन की बहस न तो सोशल मीडिया पर है न ही किसी नेता की जुबान पर।
ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सएप के जमाने में मुद्दों से भटकती राजनीति को कौन आईना दिखाएगा। गुजरात में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल के गाल पर चुनावी सभा के दौरान जड़ा गया थप्पड़ की गूंज बहुत दूर तक सुनाई दी। गुरुवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता फेंका गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। जूता कांड पार्ट 2 तो आ गया, आगे देखते हैं राजनीति में और कौन सी सीरिज सामने आती है।
अपनी पुरानी दुश्मनी भूलाते हुए माया-मुलायम ने भी मंच साझा कर लिया। नहीं हमें अब नहीं याद कि मायावती का गेस्ट हाउस कांड में क्या हुआ था। उधर कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। हमने टिकट के लिए नहीं कांग्रेस नहीं छोड़ी, बस शिवसेना के मंच से राजनीति करने का मन आ गया।
हाय रे! चुनाव क्या न करा दे। ठगबंधन अपनी अलग ही धूरी बनाए हुए है। लगता है चुनावी मौसम में मुद्दों से भटकते नेता अपना आपा खो चुके हैं।
इधर चर्चा-ए-आम है कि कुछ छुटभैय्या नेताओं की टोली चुनाव आयोग पहुंच चुकी है। जूता फेंकने, थप्पड़ जड़ने वालों को लेकर चुनाव प्रचार के नियमों को और सख्त किया जाए। ताकि नेता सभा के दौरान अपना पूरा ध्यान अपने भाषण में लगा सकें न कि किसी अचानक दूर से आते हुए जूते या थप्पड़ पर।
अगर इसी तरह चलता रहा तो और भी बहुत कुछ देखने को मिल सकता है। फिलहाल कोई नहीं चुनावी समर में पारा और ऊपर चढ़ने का संकेत दिया जा रहा है। फुटकर राजनीति के बड़े जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे मौसम का तापमान बढ़ेगा वैसे-वैसे राजनीति के और भी कई रंगों की तस्वीरें और वीडियो सामने आने की उम्मीद है।