मच्छरों का टेस्ट भी होता है अनोखा, इन लोगों का ज्यादा चूसते हैं खून
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Fri, 22 Mar 2019 12:41 PM IST
अमरीका की जर्नल ऑफ मॉस्क्विटो कंट्रोल एसोसिएशन की 2002 की रिपोर्ट कहती है कि अगर आप शराब पीते हैं, तो आपके मच्छर के शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है। अभी ये साफ नहीं है कि मच्छर पियक्कड़ों की तरफ क्यों खिंचे चले आते हैं? अभी हमें ये पता है कि मच्छरों को हमारे होने का एहसास दो केमिकल से होता है। पहला तो है कार्बन डाई ऑक्साइड जिसे हम सांस छोड़ते वक्त निकालते हैं। दूसरा ऑक्टानॉल, जिसे मशरूम एल्कोहल भी कहते हैं। क्योंकि मशरूम का स्वाद इसी केमिकल की वजह से आता है। ये केमिकल हमारे शरीर में एल्कोहल यानी शराब पीने के बाद बनता है।
अब अगला सवाल ये उठता है कि क्या शराबियों का खून पीने वाले मच्छर क्या खुद नशे में आ जाते हैं?लाखों बरस से मच्छर इंसान का खून पीते आ रहे हैं। इस बारे में रिसर्च बेहद कम हुई है कि क्या शराबी का खून पीने से मच्छरों को भी नशा होता है। मच्छरों की अमरीकी जानकार तान्या डैप्की, फिलाडेल्फिया की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं। तान्या कहती हैं, ''मुझे नहीं लगता कि शराबी का खून पीने से मच्छरों को भी नशा हो जाता है। वजह ये कि खून में अल्कोहल की मात्रा इतनी होती नहीं है।'' लेकिन, आप ये जानकर हैरान होंगे कि कीड़े-मकोड़े शराब की बड़ी तादाद पचा ले जाते हैं।
अमरीका की नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के कोबी स्कैल कहते हैं कि किसी ने 10 पेग शराब पी है, तो उसके खून में अल्कोहल की मात्रा 0.2 प्रतिशत हो जाती है। लेकिन, अगर कोई मच्छर उस इंसान का खून पीता है, तो उस पर शराब का बेहद मामूली असर होगा। इससे उनकी क्षमता पर असर नहीं पड़ता।मच्छरों का पाचन तंत्र भी ख़ास होता है। खून के अलावा उनके पेट में कोई और चीज जाती है, तो वो एक अलग जगह जमा होती है। वहां मच्छर के एंजाइम उसे और तोड़-फोड़ डालते हैं। यानी, मच्छर के शरीर में शराब की मात्रा जाती भी है, तो उसके एंजाइम उसे नए केमिकल में बदल लेते हैं। इससे उनके दिमाग़ पर असर नहीं होता।
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम का रख-रखाव करने वाली एरिका मैकएलिस्टर कहती हैं कि बहुत से कीड़ों में ये खूबी होती है कि वो नुकसानदेह केमिकल को अपने खाने से अलग कर लेते हैं। फिर उसे धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकाल देते हैं। वो एल्कोहल से लेकर नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया तक को एंजाइम से पचा लेते हैं। वैसे, बहुत से इंसानों के जीन में भी कुछ ऐसा होता है कि मच्छर उन्हें अपना शिकार ज्यादा बनाते हैं। दुनिया की कुल आबादी के पांचवें हिस्से के जीन में ऐसी बात होती है कि मच्छर उनकी तरफ ज्यादा खिंचते हैं।
इनमें से एक वजह है ओ ब्लड ग्रुप। किसी और ब्लड ग्रुप के मुकाबले ओ ग्रुप के इंसान को मच्छर काटने की आशंका दो गुनी होती है। शरीर का तापमान ज्यादा होने पर भी मच्छर खिंचे चले आते हैं। गर्भवती महिलाओं को भी मच्छर ज्यादा काटते हैं। जो लोग अक्सर गहरी सांस छोड़ते हैं, मच्छर उन्हें भी ज्यादा काटते हैं। क्योंकि वो ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं और ये मच्छर को इंसान के होने का इशारा देती है।मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां शरीर के अलग हिस्सों को निशाना बनाती हैं। कुछ मच्छर पैर और पंजों में काटते हैं. तो कुछ गर्दन और चेहरे पर धावा बोलते हैं। शायद वो आपके मुंह और नाक से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड को सूंघते हुए वहां पहुंच जाते हैं।
तान्या बताती हैं, ''जब मैं कोस्टा रिका गई, तो मच्छरों ने मेरे तलवे में काट खाया। ये कैसे मुमकिन हुआ?'' शराब से निकलने वाला एथेनॉल भी इसी तरह मच्छरों को हमारी तरफ खींचता है। जब हम शराब पीते हैं, तो हमारे पसीने के साथ थोड़ी तादाद में एथेनॉल निकलता है। मच्छर इसकी गंध से इंसान तक पहुंच जाते हैं।