इतिहास में कुछ शासक अपने सशक्त शासन के लिए जाने जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं थी। यही कारण है की इतिहास में इन्हे सबसे क्रूर शासकों की श्रेणी में गिना जाता है। इनकी क्रूरता के चर्चे ऐसे हैं जिनको सुनकर रूह कांप जाएगी। ऐसे ही क्रूर शासकों में से एक था तैमूर लंग जिसे सिर्फ खून, तबाही और कोहराम देखने में ही मजा आता था।
मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी और चंगेज खान के बाद तैमूर लंग भारत को लूटने आया था। उसे लंग इसलिए कहते थे क्योंकि वह लंगड़ा था। तैमूर का जन्म 1336 समरकंद के एक आम परिवार में हुआ था। तैमूर लंग एक मामूली चोर था, जो मध्य एशिया के मैदानों और पहाड़ियों से भेड़ों की चोरी किया करता था। एक घटना के बाद तैमूर के शरीर का दाहिना हिस्सा बुरी तरह घायल हो गया था। आगे चलकर लोग उन्हें फारसी में मजाक में तैमूर-ए-लंग (लंगड़ा तैमूर) कहने लगे।
तैमूर लंग भी चंगेज खान जैसा शासक बनना चाहता था। सन् 1369 ईस्व में समरकंद का शासक बना। उसके बाद उसने अपनी विजय और क्रूरता शुरू की। क्रूरता के मामले में वह चंगेज खान की तरह ही था। कहते हैं, एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया तब उत्तर भारत में तुगलक वंश का राज था। 1399 में तैमूर लंग द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ और वह कत्लेआम करता हुआ आगे बढ़ता गया।
तैमूर के आक्रमण के समय ही हिन्दुओं ने जौहर की रस्म शुरु की थी। दिल्ली में वह 15 दिन रहा और उसने इस शहर को कसाईखाना बना दिया था। तैमूर के अनुसार लोग एक गलत धर्म को मानते थे इसलिए उनके सारे घर जला डाले गए और जो भी पकड़ में आया उसे मार डाला गया।
बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह समरकंद वापस लौट गया। तैमूर के जाने के बाद दिल्ली मुर्दों का शहर रह गया था। तैमूर के पास करीब एक लाख हिंदू बंदी थे।
दिल्ली पर चढ़ाई करने से पहले उसने इन सभी को कत्ल करने का आदेश दिया था। यह भी हुक्म हुआ कि यदि कोई सिपाही बेकसूरों को कत्ल करने से हिचके तो उसे भी कत्ल कर दिया जाए।
दिल्ली में जश्न मनाते हुए मंगोलों ने कुछ औरतों को छेड़ा तो लोगों ने विरोध किया। इस पर तैमूर ने दिल्ली के सभी हिंदुओं को ढूंढ-ढूंढ कर कत्ल करने का आदेश दिया था। चार दिन में सारा शहर खून से रंग गया था।
जब तैमूर दिल्ली छोड़कर उज़्बेकिस्तान की तरफ रवाना हुआ तब रास्ते में मेरठ के किलेदार इलियास को हराकर तैमूर ने मेरठ में भी तकरीबन 30 हजार हिंदुओं को मारा। यह सब करने में उसे महज तीन महीने लगे।
तैमूरलंग का 1405 में निधन हुआ था, तब वह चीन के राजा मिंग के खिलाफ युद्ध के लिए जा रहा था।