दिवाली के दिन भारत में लगता है मां लक्ष्मी को भोग, लेकिन नेपाल में 'कुत्तों की पूजा' करते हैं लोग
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Ayush Jha
Updated Sat, 26 Oct 2019 11:54 AM IST
प्रतिकात्मक तस्वीर
- फोटो : social media
भारत में दिवाली के आते ही मन में जबरदस्त क्रेज उठता है। ये त्योहार हिंदू धर्म का एक बड़ा त्योहार होता है। दिवाली के आते ही लोगों के घर रोशनी से जगमगा उठते हैं। वैसे अगर देखा जाए तो दिवाली चार दिन की होती है। क्या है ना जी धनतेरस, छठ सब मिलकर मामला चार-पांच दिन का बैठता है। इसे आप त्योहारों की लड़ी कहते हैं। ऐसा ही एक पर्व अपने पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है। जो कि भारत की दिवाली जैसा होता है।
dog worship
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यहां के लोग लक्ष्मी-गणेश की नहीं बल्कि कुत्तों की पूजा की जाती है। नेपाल में दिवाली को तिहार कहा जाता है। यह बिल्कुल वैसे ही मनाई जाती है जैसे अपने यहां दिवाली मनाई जाती है। नेपाल में लोग इस दिन दीए जलाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, खुशियां बांटते हैं, लेकिन इसके अगले ही दिन एक और दिवाली मनाई जाती है। इस दिवाली को कुकुर तिहार कहा जाता है। कुकुर तिहार पर कुत्तों की पूजा की जाती है।
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खास बात यह है कि यह दिवाली यहीं खत्म नहीं होती बल्कि पांच दिन तक चलती है। इस दौरान लोग अलग-अलग जानवर जैसे गाय, कुत्ते, कौआ, बैल आदि की पूजा करते हैं। कुकुर तिहार पर कुत्तों को सम्मानित किया जाता है। उनकी पूजा की जाती है, फूलों की माला पहनाई जाती है और तिलक भी लगाया जाता है।
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दरअसल, एक तरह से इंसानों के जीवन में कुत्तों के महत्व को बताने और दर्शाने के लिए यह त्योहार मनाया जाता है। अगर मान्यताओं की माने तो कुत्ते यम देवता के संदेशवाहक होते हैं। नेपाल में ऐसा भी माना जाता है कि कुत्ते मरने के बाद भी आपकी रक्षा करते हैं। इसी कारण है कि उनकी पूजा की जाती है। जानवरों के प्रति यह त्योहार एक संदेश देता है।
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अगर आप भी इस दिवाली किसी आवारा कुत्ते को खाना खिला सकते हैं। इससे अच्छी दिवाली क्या होगी। अगर बात करे हिन्दू मान्यताओं की तो कुत्ते यम देवता के संदेशवाहक होते हैं। महाभारत की बहुत ही प्रचलित कहानी है कि युधिष्ठिर ने बिना अपने कुत्ते के स्वर्ग में प्रवेश करने से मना कर दिया था।