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दुनिया भर में सुंदरता को लेकर अलग-अलग प्रचलन मौजूद हैं। इनमें से कुछ से हम वास्ता रख सकते हैं लेकिन कुछ ट्रेडिशन हमारे सिर के ऊपर से गुज़र जाते हैं। अब जैसे हमारे देश में गोरा-काला को लेकर अलग ही पॉलिटिक्स चलती रहती है। यही वजह है कि हम सब गोरे और साफ़ चहरे के लिए दिन-रात मेहनत करते रहते हैं।
अब ये बात तो हमें अजीब नहीं लगती। लेकिन अगर हम कहें कि एक किसी देश में त्वचा में छेद करके अधिक से अधिक निशान बनाए जाते हैं और इसे ही सुंदरता का प्रतीक माना जाता है तो ये बात आपके गले से शायद नीचे नहीं उतरेगी। तो आज हम आपको दुनिया भर के कुछ ऐसे ही बेहद अजीबो-गरीब ब्यूटी ट्रेडिशन के बारे में बताना चाहेंगे।
हमारे यहां और पश्चिमी देशों में भी बिल्कुल सीधे एक लाइन में दिखने वाले दांतों को सुंदर माना जाता है लेकिन जापान में इसके बिल्कुल उलट है। यहां महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही टेढ़े-मेढ़े दांत सुंदर समझे जाते हैं। इसके लिए बाकाएदा दांतों का ऑपरेशन भी करवाया जाता है।
अफ़्रीका की कई जनजातियों में शरीर पर टैटू बनवाने की प्रथा है। लेकिन इन टैटूज़ की ख़ास बात ये होती है कि यहां इन्हें शरीर में छेद करके बनाया जाता है। एक ख़ास औज़ार से शरीर पर कट लगाए जाते हैं और ये घाव जो निशान दे जाते हैं उन्हें बेहद ख़ूबसूरत माना जाता है।
साउथ कोरिया में चहरे को एक ख़ास आकार देने की प्रथा है। यहां प्लास्टिक सर्जरी करवाना एक आम बात है और आपको यहां हर जगह ऐसे ढेरों विज्ञापन भी मिल जाएंगे। यहां के लोग आमतौर पर सर्जरी करवाने में बिल्कुल भी हिचकिचाते नहीं हैं। यहां चहरे को दिल का आकार देने की कोशिश की जाती है।
पश्चिमी अफ़्रीका के मॉरिटानिया में महिलाओं का वज़न जितना अधिक हो उन्हें उतना ख़ूबसूरत माना जाता है। यहां माता-पिता अपनी लड़कियों को ख़ास तौर पर ऐसी जगह भेजते हैं जहां वो एक दिन में ज़्यादा से ज़्यादा खा सकें और 16000 कैलोरी तक ग्रहण कर सकें। अधिक खाने की वजह से कई बार महिलाओं को पेट सम्बन्धी समस्याओं से भी जूझना पड़ता है।
ईरान में लोग सीधी नाक के पीछे पागल हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसा करने के लिए जो सर्जरी करवाई जाती है उसे राइनोप्लास्टी कहते हैं। ये सिर्फ़ ख़ूबसूरती बढाने का तरीका ही नहीं है बल्कि इससे समाज में लोगों को एक अलग हैसियत हासिल होती है। ये ऑपरेशन बेहद महंगे होते हैं इसके बावजूद लोगों को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
यहां पर लोग नाक पर सर्जिकल टेप लगाए घूमते रहते हैं चाहे उन्होंने सर्जरी करवाई हो या नहीं।
चीन और थाईलैंड में पीले रंग को बहुत अच्छा माना जाता है। यहां की महिलायें हर संभव कोशिश करती हैं कि उनके चहरे पर किसी तरह से लालिमा न आ पाए। इसके लिए लोग अपने चहरे और शरीर को पूरी तरह से ढककर बीच पर जाते हैं। आपको यहां ऐसी कोई फेसक्रीम नहीं मिलेगी जिसमें ब्लीच मौजूद न हो। यहां कि महिलाओं को पश्चिमी लोगों का टैनिंग सलून में जाना पागलपन लगता है।
अफ़्रीका की फुला जनजाति में महिलाओं में ऐसा प्रचलन मौजूद है जिसमें जितना चौड़ा और लंबा माथा होगा, महिला को उतना अधिक सुन्दर माना जाता है। इसी वजह से कई महिलाएं अपने कुछ बाल केवल इसलिए कटवा लेती हैं जिससे उनका माथा थोड़ा लंबा दिखे। इसके अलावा मध्यकालीन यूरोप में भी इसको बहुत ख़ास माना जाता था। इसी वजह से तब महिलायें अपने सिर के आधे हिस्से के बाल कटवा देती थीं।
बर्मा की कयान जनजाति की महिलाओं को जिराफ़ विमेन भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां महिलाएं अपनी गर्दन को अधिक से अधिक लंबा दिखाने के लिए छल्ले पहनती हैं। ये इन छल्लों को अपनी गर्दन से कभी नहीं हटातीं। ये इनके स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक होता है।
इथियोपिया के मुर्सी जनजाति की महिलाएं अपने निचले होंठ में एक चक्का पहनती हैं। ये चक्का जितना बड़ा होता है समाज में उस महिला का कद उतना ऊंचा माना जाता है।
तज़ाकिस्तान के कुछ इलाकों में जुड़ी हुई आईब्रो को बहत अच्छा माना जाता है। अगर किसी महिला की आईब्रो प्राकृतिक रूप से जुड़ी हुई नहीं होती हैं तो वो मेकप से उन्हें जोड़ देती हैं।