उस बच्चे की उम्र 6 साल है। विशाखापत्तानम के पास एक आदिवासी गांव में अपने मां-बाप के साथ रहता है। पिछले हफ्ते घर से घूमने निकला तो झाड़ियों के पास बिल्ली के दो बच्चे मिले। उसने बिल्ली के बच्चों को वहां से उठाया और हाथ में दबोच कर घर ले आया। इसके मां-बाप ने भी बिल्ली के बच्चों को दूध पीने को दिया, कुछ खाने को भी दिया।
ये सब कुछ दो दिनों तक चलता रहा। फिर एक दिन पड़ोसियों की नजर पड़ी तो वो चौंक गए। फिर जो हुआ वो दिल दहला देने वाला है।
पड़ोसियों ने परिवार को बताया कि तुम जिसे बिल्ली के बच्चे समझ रहे हो, वास्तव में वो बिल्ली के बच्चे नहीं बल्कि चीते के बच्चे हैं। सब की 'सिट्टी-पिट्टी' गुम। इसके बाद तुरंत ही वन अधिकारियों को इसकी खबर दी गई। वन विभाग के अधिकारी चीते के बच्चों को अपने साथ ले गए और फिर गांव से दूर कहीं जंगल में छोड़ दिया।
घरवालों का कहना था कि दो दिनों से घर में यहां-वहां आराम से घूम रहे थे। हमने खाने-पीने को भी दिया।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि मादा चीता एक साथ 2-6 बच्चे तक जनती हैं। बच्चे जिनकी 10 दिनों के बाद आंखें खुलती हैं, वो अगले 2 साल तक अपनी मां के ही साथ रहते हैं। खैरियत है कि आस-पास वो थी नहीं वरना खतरा हो सकता था!
आज के बाद जब कहीं बिल्ली के बच्चे दिख जाएं तो उठा के घर मत ले आइएगा। पहले थोड़ा वक्त दे कर अच्छे से जांच लें। जरूरत पड़े तो वन विभाग से भी मदद लें!